कृष्ण भगवान का एक बहुत बड़ा भक्त हुआ लेकिन वो बेहद गरीब था।
एक दिन उसने अपने शहर के सब से बड़े “गोविन्द गोधाम” की महिमा सुनी और उसका वहाँ जाने को मन उत्सुक हो गया।
कुछ दिन बाद जन्माष्टमी आने वाली थी उसने सोचा मै प्रभु के साथ जन्माष्टमी “गोविन्द गोधाम” में मनाऊँगा।
गोंविंद गोधाम उसके घर से बहुत दूर था। जन्माष्टमी वाले दिन वो सुबह ही घर से चल पड़ा।
उसके मन में कृष्ण भगवान को देखने का उत्साह और मन में भगवान के भजन गाता जा रहा था।
रास्ते में जगह जगह लंगर और पानी की सेवा हो रही थी, वो यह देखकर बहुत आनंदित हुआ की वाह प्रभु आपकी लीला ! मैने तो सिर्फ सुना ही था कि आप गरीबो पर बड़ी दया करते हो आज अपनी आँखों से देख भी लिया।
सब गरीब और भिखारी और आम लोग एक ही जगह से लंगर प्रशाद पाकर कितने खुश है।
भक्त ऑटो में बैठा ही देख रहा था उसने सबके देने पर भी कुछ नही लिया और सोचा पहले प्रभु के दर्शन करूँगा फिर कुछ खाऊँगा ! क्योंकि आज तो वहाँ ग़रीबो के लिये बहुत प्रशाद का इंतेज़ाम किया होगा।
रास्ते में उसने भगवान के लिए थोड़े से अमरुद का प्रशाद लिया और बड़े आनंद में था भगवान के दर्शन को लेकर।
भक्त इतनी कड़ी धूप में भगवान के घर पहुँच गया और मंदिर की इतनी प्यारी सजावट देखकर भावविभोर हो गया।
भक्त ने फिर मंदिर के अंदर जाने का किसी से रास्ता पूछा।किसी ने उसे रास्ता बता दिया और कहा यह जो लाईने लगी हुई है आप भी उस लाइन में लग जाओ।
वो भक्त भी लाईन में लग गया वहाँ बहुत ही भीड़ थी पर एक और लाइन उसके साथ ही थी पर वो एकदम खाली थी।
भक्त को बड़ी हैरानी हुई की यहाँ इतनी भीड़ और यहाँ तो बारी ही नही आ रही और वो लाइन से लोग जल्दी जल्दी दर्शन करने जा रहे है।
उस भक्त से रहा न गया उसने अपने साथ वाले भक्त से पूछा की भैया यहाँ इतनी भीड़ और वो लाइन इतनी खाली क्यों है और वहाँ सब जल्दी जल्दी दर्शन के लिए कैसे जा रहे है वो तो हमारे से काफी बाद में आए है।
उस दूसरे भक्त ने कहा भाई यह VIP लाइन है जिसमे शहर के अमीर लोग है।
भक्त की सुनते ही आँखे खुली रह गई उसने मन में सोचा भगवान के दर पे क्या अमीर क्या गरीब यहाँ तो सब समान होते है।
कितनी देर भूखे प्यासे रहकर उस भक्त की बारी दरबार में आ ही गई और भगवान को वो दूर से देख रहा था और उनकी छवि को देखकर बहुत आनंदित हो रहा था।
वो देख रहा था की भगवान को तो सब लोग यहाँ छप्पन भोग चढ़ा रहे है और वो अपने थोड़े से अमरुद सब से छुपा रहा था।
जब दर्शन की बारी आई तो सेवादारो ने उसे ठीक से दर्शन भी नही करने दिए और जल्दी चलो जल्दी चलो कहने लगे। उसकी आँखे भर आई और उसने चुपके से अपने वो अमरुद वहाँ रख दिए और दरबार से बाहर चला गया।
दरबार के बाहर ही लंगर प्रशाद लिखा हुआ था। भक्त को बहुत भूख लगी थी सोचा अब प्रशाद ग्रहण कर लू ।
जेसे ही वो लंगर हाल के गेट पर पहुँचा तो 2 दरबान खड़े थे वहाँ उन्होंने उस भक्त को रोका और कहा पहले VIP पास दिखाओ फिर अंदर जा सकोगे।
भक्त ने कहाँ यह VIP पास क्या होता है मेरे पास तो नही है। उस दरबान ने कहा की यहाँ जो अमीर लोग दान करते है उनको पास मिलता है और लंगर सिर्फ वो ही यहाँ खा सकते हैं।
भक्त की आँखों में इतने आँसू आ गए और वो फूट फूट कर रोने लगा और भगवान से नाराज़ हो गया और अपने घर वापिस जाने लगा।
रास्ते में वो भगवान से मन में बातें करता रहा और उसने कहा प्रभु आप भी अमीरों की तरफ हो गए आप भी बदल गए प्रभु मुझे आप से तो यह आशा न थी और सोचते सोचते सारे रास्ते रोता रहा।
भक्त घर पर पहुँच कर रोता रोता सो गया।
भक्त को भगवान् ने नींद में दर्शन दिए और भक्त से कहा तुम नाराज़ मत होओ मेरे प्यारे भक्त
भगवान ने कहा अमीर लोग तो सिर्फ मेरी मूर्ति के दर्शन करते है।अपने साक्षात् दर्शन तो मै तुम जैसे भक्तों को देता हूँ …
और मुझे छप्पन भोग से कुछ भी लेंना देंना नही है मै तो भक्त के भाव खाता हूँ और उनके आँसू पी लेता हूँ और यह देख मै तेरे भाव से चढ़ाए हुए अमरुद खा रहा हूँ।
भक्त का सारा संदेह दूर हुआ और वो भगवान के साक्षात् दर्शन पाकर गदगद हो गया और उसका गोविंद गोधाम जाना सफल हुआ और भगवान को खुद उसके घर चल कर आना पड़ा।
भगवान भाव के भूखे है बिन भाव के उनके आगे चढ़ाए छप्पन भोग भी फीके है !!!जय जय श्री राधे
Krishna became a great devotee of God but he was very poor.
One day he heard the glory of the biggest “Gobind Godham” in his city and his mind became eager to go there.
After a few days Janmashtami was about to come, he thought that I would celebrate Janmashtami with the Lord in “Gobind Godham”.
Govind Godham was far away from his house. On the day of Janmashtami, he left home early in the morning.
In his mind the excitement of seeing Lord Krishna and singing hymns of the Lord was going on in his mind.
On the way, langar and water were being served from place to place, he was very happy to see that Wow Lord your Leela! I had only heard that you show great kindness to the poor and have seen it with your own eyes today.
All the poor and beggars and common people are so happy to get langar prasad from the same place.
The devotee was watching sitting in the auto, he did not take anything even after giving it to everyone and thought that I would first have darshan of the Lord and then I would eat something! Because today there must have been a lot of prasad for the poor.
On the way, he took a few guava offerings for the Lord and was very happy to have the darshan of the Lord.
The devotee reached the Lord’s house in such harsh sunlight and was overwhelmed to see such lovely decorations of the temple.
The devotee then asked someone the way to go inside the temple. Someone told him the way and said that the line which is engaged, you should also get in that line.
That devotee also got in the line, there was a lot of crowd but there was another line with him but it was completely empty.
The devotee was very surprised that there is so much crowd here and there is no turn coming here and people are going to have darshan from that line very soon.
The devotee did not stay with him, he asked the devotee who was with him that brother why is there so much crowd and that line is so empty and how are everyone going there for a quick visit, they have come much later than us.
That other devotee said brother, this is the VIP line in which the rich people of the city are there.
His eyes remained open as soon as he heard the devotee, he thought in his mind whether rich or poor are all equal here at the rate of God.
How long after being hungry and thirsty, the turn of that devotee came in the court and he was looking at God from afar and was getting very happy seeing his image.
He was seeing that everyone is offering fifty-six bhog to God and he was hiding his little guava from everyone.
When the turn of darshan came, the servants did not even allow him to see properly and started saying let’s go fast. His eyes widened and he secretly put his guavas there and went out of the court.
Langar Prasad was written outside the court itself. The devotee was very hungry, thought I should take the prasad now.
As soon as he reached the gate of the langar hall, two concierges were standing there, they stopped that devotee and said, first show the VIP pass and then you will be able to go inside.
Where did the devotee get this VIP pass, I do not have it. The concierge said that the rich people who donate here get a pass and only they can eat langar here.
So many tears came in the eyes of the devotee and he started crying bitterly and got angry with God and started going back to his home.
On the way, he kept talking to God in his mind and he said Lord, you have also turned towards the rich, you have also changed Lord, I did not expect this from you and kept crying all the way thinking.
The devotee reached home and fell asleep crying.
God appeared to the devotee in his sleep and said to the devotee, do not be angry, my dear devotee.
God said that rich people only see my idol. I give my real darshan to devotees like you…
And I have nothing to do with fifty-six bhog, I eat the devotion of the devotee and drink their tears and seeing this, I am eating the guava offered by you.
All the doubts of the devotee were cleared and he became enraged after getting the vision of God and he was successful in going to Govind Godham and God himself had to come to his house.
God is hungry for emotion, even fifty-six bhog offered in front of him without emotion is also faded !!!Jai Jai Shree Radhe