प्रभु मिलन में दिल के भाव

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हमे पहले परम पिता परमात्मा का बनना होगा। परमात्मा से प्रेम करना होगा। एक ही भगवान पर विस्वास करना होगा। हम परमात्मा से मांगे तो परमपिता परमात्मा को ही मांगे। अपने भगवान के सामने बार बार संसारिक सुख के लिए प्रार्थना न करें। प्रार्थना में भगवान नाथ से कहे कि हे प्रभु प्राण नाथ तु मुझे चाहे जैसे भी रखो पर मेरे नैनो में तुम्हारा निवास बना रहे ।मै तुम्हे हर क्षण निहारता रहु ।मेरी हर सांस में तुम समाए रहना ।।

हे मेरे मालिक इस दिल में तुमसे मिलन की तङफ हर क्षण बनी रहे ।भोजन करते हुए भी दिल से अवाज आये कि देख तु भगवान को ध्या रही है कि भोजन के अधिन हो गई है। भगवान का उठते-बैठते चलते हुए सोते हुए हर क्षण प्रभु प्राण नाथ का सिमरण चिन्तन और मन्न करते रहे ।भगवान की लीलाओं का गान करते हुए अपने आप को परखते रहे कि तुझ में समर्पण भाव की, कर्तव्य निष्ठा की, सत्यता की जागृति, प्रत्येक कार्य के प्रति सजगता का आना। समय और परिस्थिति के अनुसार ढलना ये सब भाव के साथ तु अपने स्वामी भगवान् नाथ को दिल में बिठाकर दिल ही दिल में वन्दन कर रही है या नहीं। भगवान से मिलन के लिए तङफ की जागृति आवश्यक है। हे प्रभु प्राण नाथ हे स्वामी तुम मुझे कब दर्शन दोगे ।कभी कभी तो तुम मुझे ऐसा लगता है जैसे मुझे आनंद से तृप्त करते हो जैसे इस जगत की हर चीज़ में तुम ही समाए हुए हो ।कभी ये नैन ढुढते तुम को मगर तुम पास होते हुए भी दिखाई नहीं देते हो।

जय श्री राम अनीता गर्ग



We have to first become of the Supreme Father, the Supreme Soul. Gotta love God. One has to believe in only one God. If we ask God, then we should only ask the Supreme Father, the Supreme Soul. Do not pray for worldly happiness again and again in front of your God. In prayer, say to Lord Nath that O Lord Pran Nath, you keep me in whatever way you want, but your abode remains in my nano. I keep looking at you every moment. You remain absorbed in my every breath.

O my master, in this heart always remain in the direction of meeting you. Even while having food, a voice came from the heart that you are meditating on God that you have become under food. While sleeping, sitting, sitting and sleeping, contemplating and meditating on Lord Pran Nath every moment. While singing the pastimes of God, test yourself that you have devotion, devotion to duty, awakening of truth, each and every one. Awareness of work. Whether you are worshiping your lord Bhagwan Nath in your heart with all this feeling according to the time and circumstance. The awakening of taf is necessary for union with God. Oh Lord Prananath, O lord, when will you see me. Sometimes I feel as if you satisfy me with joy, as if you are absorbed in everything in this world. Even if you do not appear.

Jai Shri Ram Anita Garg

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