प्रभु प्राण नाथ को हम महसुस कर सकते हैं। आनन्दित होते हैं भगवान के भाव में खो जाते हैं। परमात्मा के भाव दिल में बनने लगते हैं।भाव का रूप बङा हो जाता है हर क्षण भगवान के भाव में कभी बाहर भाव बनते तब कभी अन्तर्मन मे भाव मे डुबे हुए मेरे भगवान नाथ तु ही तु है। दिल में प्रियतम बैठे हुए। ंंएक प्रेमीका अपने प्रेमी के सामने प्रेम का इजहार शब्दों में नहीं करती है। मोन वाणी सब कुछ होती है। भगवान शब्दों में बंधते नहीं है। प्रभु प्रेम की लीला बङी अनुठी हैं। पायो जी मैंने राम रतन धन पायो । ऐसे ही अपने स्वामी भगवान् नाथ में डुबने के लिए शब्दों की नहीं ह्दय के भाव ही विशेष होते हैं। मेरे प्राण प्रिय स्वामी मै तुम्हे कब निहार पाऊंगी ।तुम मेरे सामने होंगे अपने आप को भुल जाऊं मैं ।दिल की धड़कन थम जाएगी ।भक्त के हृदय की एक ही आरजु होती है भगवान से एकाकार होने के लिए भक्त भगवान को रात दिन भजता है खाने पीने सोने का होश नहीं रहता है। बस भगवान की खोज में अपने आप को भुल जाता है।एक क्षण भी पहाड़ के समान लगता है। भक्त भगवान शीश नवाता है। कार्य तो घर के करता है कार्य करते हुए भगवान मे लीन ऐसे लगता है यह सब स्वामी की सेवा कर रहा हूं। फिर भाव में खो जाता है मेरे स्वामी भगवान् नाथ का धाम है धाम में झाङु लगा रहा हूँ। भगवान श्री हरि के चरण सेवा कर रहा हूं। सेवा भाव करते करते मै मर जाता है शरीर का भाव भी गौण हो जाता है अपने अन्दर मै स्त्री हू मै पुरष हूं भी नहीं रहता है एक चेतन आत्मा का अनुभव होने लगता है।जय श्री राम अनीता गर्ग
We can feel Prabhu Pran Nath. Rejoice, get lost in the spirit of God. The feelings of God begin to form in the heart. The form of the emotion gets bigger. Every moment, sometimes outside expressions are formed in the sense of God, and then my Lord Nath is the only one who is immersed in the feeling inside. Dearest sitting in heart. A lover does not express love in front of her lover in words. Mone speech is everything. God is not bound by words. The pastimes of God’s love are very unique. Payo ji, I have got Ram Ratan Dhan. In the same way, to immerse yourself in the lord Bhagwan Nath, it is not the words but the feelings of the heart that are special. When will I be able to see you my dear lord. You will be in front of me, I forget myself. The heartbeat will stop. There is only one desire in the heart of the devotee, to be one with God, the devotee worships God night and day. There is no sense of drinking and sleeping. Just in search of God, he forgets himself. Even a moment feels like a mountain. The devotee bows the head to the Lord. The work is done at home, while doing the work, it seems that I am absorbed in God, I am serving all this lord. Then I get lost in the feeling of my lord, Lord Nath’s abode. I am serving the feet of Lord Shri Hari. While doing service, I dies, the feeling of the body also becomes secondary, I am a woman, I am a man, I do not even have the experience of a conscious soul. Jai Shri Ram Anita Garg