जब जब कृष्ण ने बंसी बजाई

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जब जब कृष्ण न बंसी बजाई
तब तब राधा मन हर्षाई
सखियों संग जमुना तट पहुची
पर कही दिखे न कृष्ण कन्हाई
“नटखट नंदगोपाल छुपे है
कही भी नहीं वो हमको दिखे है “
राधा मंद मंद मुस्काई
जान रही थे खेल रहे है
उसको यु ही छेड़ रहे है
तभी ग्वालो की टोली आयी
सखिया दौड़ी आस लगाई
“नहीं कही गोपाल नहीं है
क्यों है निष्ठुर बने कन्हाई ??”
राधा का मन व्याकुल ऐसा
बिन चाँद चकोर के जैसा
“कान्हा कान्हा दरस दिखाओ
मुरली की कोई तान सुनाओ”
“जग को छोड़ा तुम्हारी खातिर
जन्मो जन्मो युगों युगों
रूप धरा तेरी कहलाई “
“घर भी त्यागा सुख भी त्यागा
मीरा बन पिया विष का प्याला
फिर भी क्यों तुम परख रहे हो ?
अब तो कान्हा दरस दे-रहो
जाओ अब मैं भी न बोलू
पलकों के पट मैं न खोलू
रूठ गयी तो फिर न मिलूंगी
बंसी की धुन मैं न सुनूंगी”
कान्हा का अब मन विचलित है
“कैसे रूठी राधा को मनाऊ ??
रूठो न राधा तुम ऐसे
छेड़ रहा था मैं तो वैसे
तुम सखी मेरी अति प्रिया हो
बंसी अधर ( होठ) तुम लगी हिया (ह्रदय ) हो
अब जो तुम ऐसे रूठोगी
बंसी भी मुझसे रूठेगी
तुम कहो सौतन चाहे बैरन
वो गाए बस तेरे कारन
जो तुम रूठ गयी हो हमसे
सुर उसके भी भूल गए है
जाओ त्याग दिया अब उसको
तुम बिन वो भी रास न आये
नंदनवन में अब न सुनोगी
मेरी बंसी की धुन कोई “
यह सुन राधा ने पलकें खोली
“रूठ कभी न मै सकती हूँ
अब आप सताना छोड़ो हमको
बंसी की धुन कुछ ऐसी बजाओ
चारो दिशाए खिल खिल जाये
मेघ पड़े हरियाली छाये
मन तरंग से भर भर जाये
धरती पर खुशिया घिर आये “
“ये धुन बस तेरे ही लिए है
राधा के बिन कृष्ण न भाये
ऐसी लीला रची गयी है
राधा पहले फिर कृष्ण आये
राधा कृष्ण
राधे कृष्ण
बस ऐसे ही हर कोई गाये “
जय श्री राधे
श्री कृष्ण गोविन्द हरे मुरारी हे नाथ नारायण वासुदेव राधे राधे ….. कृष्णा कृष्णा ….. जय श्री राधे



Whenever Krishna did not play the flute Then then Radha Man Harshai Jamuna reached the beach with friends But nowhere to be seen Krishna Kanhai “The naughty Nandgopal is hiding We have not seen him anywhere.” Radha dimly smiles knew they were playing you are teasing him Then came the group of cowherds Sakhiya ran and hoped “No, there is no Gopal Why has Kanhai become ruthless?? Radha’s mind is so disturbed like chakor without moon Show Kanha Kanha Daras Hear any ton of the murli.” “Leave the world for you born, born, ages, ages Roop Dhara Teri Kahlai” “Abandoned home too, renounced happiness too Meera ban drank a cup of poison Why are you still checking? Now give Kanha Dars – stay go now i won’t even say I can’t open my eyelids If I get angry then I will not meet again I will not listen to the tune of bansi. Kanha’s mind is disturbed now “How to make Radha angry? Don’t cry Radha you are like this I was teasing like that you friend is my dearest Bansi adhar (lips) you are lagi hiya (heart) now that you will cry like this Bansi will also annoy me you say soutan or baron He sings only because of you you are angry with us Sur has forgotten her too go give it up now you don’t like that too Will not listen now in Nandanvan My bansi tune someone Hearing this, Radha opened her eyelids. “I can never be angry Now you leave us tormented play the tune of bansi like this bloom in all directions cloud covered greenery be filled with heart May happiness surround the earth” “This tune is just for you Krishna does not like without Radha such a leela has been created Radha came first then Krishna Radha Krishna Radhe Krishna Everyone sings just like that.” Jai Shri Radhe Shri Krishna Govind Hare Murari Hey Nath Narayan Vasudev Radhe Radhe ….. Krishna Krishna ….. Jai Shree Radhe

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