एक राजा जंगलके रास्ते कहीं जा रहा था। उसने देखा एक खेतमें एक जवान आदमी हल जोत रहा है। और मस्ती में झूमता हुआ ऊँचे स्वरसे कुछ गा रहा है। वह बड़ा ही प्रसन्न था। राजा वहाँ खड़ा होकर उसका गाना सुनने लगा। फिर राजाने उससे पूछा कि ‘भाई! तुम बहुत प्रसन्न मालूम होते हो। बताओ तुम औसत प्रतिदिन कितना कमाते हो ?’ उसने हँसते हुए कहा “मैं खुद मेहनत करके आठ आने रोज कमाता हूँ और उनको चार हिस्सोंमें बाँट देता हूँ। मैं न इससे अधिक कमाना चाहता हूँ और न खर्च करना। मुझे चिन्ता क्योंहोती।’ राजाने पूछा- ‘चार हिस्सोंमें कैसे बाँटते हो ?’ किसानने कहा- ‘माँ-बापने मुझको पाला था, उनका ऋण मेरे सिरपर है, अतः दो आना उनको देकर ऋण उतारता हूँ। बच्चे बड़े होनेपर मेरी सेवा करेंगे, इसके लिये दो आने रोज उनके पालनमें लगाता हूँ, यह मानो कर्ज देता हूँ। मैं किसान हूँ, जानता हूँ कि आदमी जो बोता है, वही फसल पकनेपर पाता है। दूसरोंको पहले देनेपर ही किसीको कुछ मिला करता है, यह सोचकर चौथे हिस्सेके दो आने मैं रोज दान करता हूँ और शेष बचे हुए दो आनेमें अपना पेट भरता हूँ।’
A king was going somewhere on the way to the forest. He saw a young man plowing a field. And swinging in fun, he is singing something loudly. He was very happy. The king stood there listening to her singing. Then the king asked him, ‘Brother! You seem very happy. Tell me, how much do you earn on an average per day?’ He laughed and said, “I myself earn eight annas a day by working hard and divide them into four parts. I neither want to earn nor spend more than this. Why should I worry.’ The king asked – ‘How do you divide it into four parts?’ The farmer said- “My parents brought me up, their debt is on my head, so I repay the debt by giving them two annas. I spend two annas daily for their upbringing, so that the children will serve me when they grow up, as if I give a loan. I I am a farmer, I know that what a man sows, he gets the same crop when it ripens. Thinking that he gives something to others only after giving it to others, I donate two annas of the fourth part daily and fill my stomach with the remaining two annas.’