चीनके एक बादशाहके शासन कालमें प्रजाको अनेक प्रकारके कर देने पड़ते थे। बाहरसे आनेवाली वस्तुओंपर बड़ा शुल्क देना पड़ता था। बादशाहसे इस सम्बन्धमें शिकायत करनेका किसीने साहस नहीं किया। एक दिन बादशाह अपने सभा सदस्योंके साथ नगरके बाहर टहलने गया था। वह लौटनेवाला था कि आकाशमें काली-काली घटा घिर आयी। पानी बरसनेवाला ही था। बादशाहने प्रस्ताव किया कि हमलोगोंको यथाशीघ्र लौट चलना चाहिये।’डरनेकी कोई बात नहीं है। बादल नगरमें प्रवेश ही नहीं कर सकते।’ एक बुद्धिमान् सभा सदस्यने अवसरका सदुपयोग किया।
बादशाहके कारण पूछनेपर उसने कहा कि ‘उनपर अधिकाधिक कर लग जायगा और वे प्रवेश करनेमें असमर्थ हो जायँगे।’
बादशाहने उसके कथनका मर्म समझ लिया और उसकी बुद्धिमानीकी बड़ी प्रशंसा की। उसने प्रजापर लगाया हुआ आधा कर छोड़ दिया। रा0 श्री0
During the rule of an emperor of China, the subjects had to pay many types of taxes. Heavy duty had to be paid on goods coming from outside. No one dared to complain about this to the emperor. One day the king went for a walk outside the city with his assembly members. He was about to return when a dark cloud covered the sky. It was about to rain. The emperor proposed that we should return as soon as possible. ‘There is nothing to fear. Badal cannot enter the city at all. An intelligent member of the assembly made good use of the opportunity.
On asking the reason of the emperor, he said that ‘they will be taxed more and more and they will be unable to enter.’
The king understood the meaning of his statement and greatly praised his intelligence. He waived half the tax imposed on Praja. Ra0 Mr.0