एक दो बार समझाने से यदि कोई नही समझ रहा है, तो सामने वाले को समझाना छोड़ दीजिए…
बच्चे बड़े होने पर, वो ख़ुद के निर्णय लेने लगें, तो उनके पीछे लगना छोड़ दीजिए…
गिने चुने लोगों से आपके विचार मिलते हैं ,यदि एक दो से नहीं मिलते, तो उन्हें छोड़ दीजिए…
एक उम्र के बाद कोई आपको पूछे न पूछे या कोई पीठ पीछे आपके बारे में गलत कह रहा है ,तो दिल पर लेना छोड़ दीजिए….
अपने हाथ कुछ नहीं ,ये अनुभव आने पर भविष्य की चिंता करना छोड़ दीजिए….
यदि इच्छा और क्षमता में बहुत फर्क आ रहा है, तो खुद से अपेक्षा करना छोड़ दीजिए…
हर किसी का पद – कद – मद सब अलग है, इसलिए तुलना करना छोड़ दीजिए…
बढ़ती उम्र में जीवन का आनंद लीजिए, रोज जमा खर्च की चिंता करना छोड़ दीजिए…
उम्मीदें होंगी तो सदमे भी बहुत होंगे,यदि सुकून से रहना है, तो उम्मीदें करना छोड दीजिए…
If someone is not understanding by explaining once or twice, then stop explaining to the person in front…
When children grow up, they start making their own decisions, so stop following them…
You get your thoughts from a few selected people, if you don’t get one or two, then leave them…
After an age no one asks you or someone is saying wrong about you behind your back, then stop taking it to heart….
You have nothing in your hands, when you get this experience, stop worrying about the future….
If there is a lot of difference between desire and ability, then stop expecting from yourself…
Everyone’s position – height – item is different, so stop comparing…
Enjoy life in old age, stop worrying about daily accumulated expenses…
If there are expectations, then there will be many shocks, if you want to live peacefully, then stop expecting…