उपहरणं विभवानां संहरणं सकलदुरितजालस्य।
उद्धरणं संसाराच्चरणं वः श्रेयसेऽस्तु विश्वपतेः।।
भिक्षुकोऽपि सकलेप्सितदाता प्रेतभूमिनिलयोऽपि पवित्र:।
भूतमित्रमपि योऽभयसत्री तं विचित्रचरितं शिवमीडे।।
अर्थ-
समस्त ऐश्वर्यो को प्रदान करने तथा समस्त पापसमूहों का नाश करने एवं संसार का उद्घार करने वाले भगवान् शंकर के चरण आप सभी देश भक्त नागरिको के लिए मंगलकारी सिद्ध हों।
स्वयम भिक्षुक होते हुए भी समस्त प्राणियों की अभिलाषाओ को पूर्ण करने वाले तथा प्रेतो की अपवित्र भूमि-श्मशान मे रहने पर भी स्वयम पवित्र और भूतों के मित्र (साथ) रहने पर भी अभयका सत्र चलाने वाले (अभय प्रदान करने वाले) ऐसे विचित्र चरित्र वाले शिव की मैँ स्तुति करता हूँ।
।। शिवशिरोमालिकास्तुति: ।।
पित्रो: पादाब्जा सेवागत गिरितनया पुत्रपत्रातिभीत क्षुभयद्भूषाभुजंग श्र्वसनगुरूमरूमद्दीनप्त नेत्राग्नितापात्।
स्विधन्मौलीन्दुखण्डस्त्रुतबहुलसुधासेकसंजातजीवा पूर्वाधीतं पठन्ती ह्रावतु विधिशिरोमालिका शूलिनो वः।।
अर्थ-
अपने माता एवं पिता के चरण कमलो की सेवा के लिए जब पार्वती पुत्र कार्तिकेय अपने वाहन पर चढ़कर उपस्थित होते हैं। तब उनके वाहन मयूर से डरकर भगवान शंकर के शरीर के आभूषणभूत सर्पो के क्षुब्ध हो जाने तथा गहरी लम्बी साँसे लेने से भगवान शिव के नेत्र में अग्रि के समान ताप उठने लगता है। ऐसी अवस्था मे चन्द्रखण्ड से बहती हुई प्रचुर सुधाधारा से सिंचित शंकर के गले मे विधमान बह्मा के सिर की मुण्डमाला जो निर्जीव है वह पुनः जीवित हो उठती है।
और पूर्व काल में अध्ययन किये हुए शास्त्रो का पाठ करने लगती है। ऐसे त्रिशूलधारी भगवान शिव शंकर के गले मे विद्यमान विधिमुण्डमाला हिन्दू, हिन्दुस्तान, सनातन धर्म को मानने वालो की रक्षा करे।
जो लिंग स्वरूप ब्रह्मा- विष्णु एवं समस्त देवगणों के द्वारा पूजित तथा निर्मल कान्ति से सुशोभित है जो लिंग जन्मजन्य दुःख का विनाशक अर्थात मोक्षप्रणादायक है। मैं उन सदाशिव भगवान शिव-गोरक्ष को प्रणाम करता हूँ।
जन्म-जन्मान्तर के संचित पाप को नष्ट करने वाले भगवान शिव-गोरक्ष को मैं प्रणाम करता हूँ।
।। ॐ नमः शिवाय ।।
The abduction of potentials is the withdrawal of all evil webs. May the feet of the Lord of the universe be your deliverance from this world for your welfare.
Even a monk who gives all his desires and who lives in the land of the dead is holy I worship that wonderful character of Lord Siva who is a fearless woman even though he is a friend of ghosts.
Meaning- May the feet of Lord Shankar, who bestows all opulences, destroys all sins and uplifts the world, prove to be auspicious for all you patriot citizens.
The one who fulfills the desires of all living beings in spite of being a beggar, the one who keeps himself pure even after living in the unholy land of ghosts and the cremation ground, and who conducts Abhayaka session (provides fearlessness) even when he is with ghosts, having such a strange character I praise Shiva.
।। Shivashiromalikastuti: ।।
The lotus feet of the father served the daughter of the mountains the leaves of her sons were very frightened and shook her ornaments and snakes May the garland of the heads of the spears of the rituals, which the living beings born of the sweet crown of the moon-piece, which has been shed by the abundant nectar-infusion, reading the previously studied, fall from your spears.
Meaning- When Parvati’s son Kartikeya is present on his vehicle to serve the lotus feet of his mother and father. Fearing the peacock, his vehicle, Lord Shankar’s body adorned with snakes became agitated and took deep long breaths, Lord Shiva’s eyes started to heat up like fire. In such a state, irrigated by the abundant Sudhadhara flowing from Chandrakhand, the lifeless garland of Brahma’s head, which is present in Shankar’s neck, becomes alive again.
And starts reciting the scriptures studied in the past. May the Vidhi Mundamala present around the neck of Lord Shiv Shankar with such a trident protect those who believe in Hinduism, Hindustan and Sanatan Dharma.
Which is worshiped by Brahma-Vishnu and all the deities in the form of gender and is adorned with pure radiance, which is the destroyer of birth-borne sorrows, that is, the one who gives salvation. I bow down to those Sadashiv Lord Shiva-Goraksh.
I bow down to Lord Shiva-Goraksha who destroys the accumulated sins of birth after birth.
।। Om Namah Shivaya.