श्री गौरदासी भाग – 1

गोपेश्वर महादेव के निकट ही ये बाई रहती थी…बंगाली शरीर …”भजनाश्रम” में कीर्तन करके अपना जीवन यापन किया …आज सुबह ही इनका देह शान्त हो गया ….क्या नाम है इसका ?
“गौर दासी”….मकान मालिक ने बताया । इसका मीत कृष्णा है ….और ये गौर दासी कहती थी जब तक वो न आये इसके शरीर को यमुना में प्रवाहित न किया जाये । मीत ? कौन कृष्णा ? आस पड़ोस के लोग जो आये थे इस बंगाली बाई के शरीर को घाट ले जाने के लिये …वो मुस्कुराने लगे । अरे भगवान श्रीकृष्ण को कहती थी ….अच्छा ! अच्छा ! क्या करना है काम हमें ये बताओ ! पड़ोस के लोगों को और भी काम हैं ….अब इसी गौर दासी के पीछे थोड़े ही रहेंगे दिन भर ….”वैसे भी वृन्दावन में बहुत बंगाली हैं”…..एक ने ये भी कहा ।

“पर ये तो बांग्लादेश की थी”…..पड़ोसी आपस में बातें कर रहे हैं ….हाँ तो बांग्लादेश अपने भारत में ही तो था कल तक …बांग्लादेश के जो भी होंगे वो सब मुसलमान ही हैं ऐसा थोड़ा ही है ।

इसको इतिहास का ज्ञान नही है …दूसरे ने ये भी कह दिया …अच्छा अच्छा , बातें न बनाओ भीतर से समान हटाने में मेरी कुछ तो सहायता करो । मकान मालिक गौर दासी के कमरे से उसका सामान भी निकाल रहा था ….बाहर गौर दासी का शरीर तुलसी के पौधे के पास है …..कुछ इसकी मित्र बंगाली बाईयां आगयीं हैं और रोते हुये महामन्त्र सुना रही हैं ।

देखो ! ये चित्र था इसके पास …एक बड़ा सा चित्र भगवान श्रीकृष्ण का …..घुंघराले बाल …हाथ में मुरली …..मुस्कुराते ….जो भी देखे बस देखता रह जाये । इसे मैं रख लूँ ? पड़ोस के आदमी ने पूछा । ना , इतनी सुन्दर छबि ….ये चित्र यहीं रहेगा …मकान मालिक ने कहा ….पर वो चित्र में मुस्कुराहट ऐसी की सबको लग रहा था भगवान श्रीकृष्ण हमें ही देख रहे हैं ।

गौर दासी का सारा सामान बाहर निकाल दिया है मकान मालिक ने …..महामन्त्र का संकीर्तन चल रहा है । अब ये लोग जो कीर्तन कर रहे हैं इनका पैसा कौन देगा ? मकान मालिक को चिन्ता है …..क्यों पैसा नही निकले कमरे से ? पड़ोसी ने व्यंग में पूछा । अरे ! बेचारी भजनाश्रम में अठन्नी में आठ घण्टे कीर्तन करती ….तब जाकर भात बनाकर खाती ….कहाँ था पैसा इसके पास …..मेरे ही छ महीने से पैसे नही दिये थे इसने ….पर कुछ भी कहो परम भक्त थी ! पूरी रात कीर्तन करती रहती थी …हम तो रोने की आवाज भी सुनते थे ..”कृष्णा कृष्णा” कहती हुयी खूब रोती , हम भी सुनते थे …..पड़ोसी ने भी कहा ।

चल भाई , मेरी तरफ से दो रुपये ले ….पड़ोसी लोग गौर दासी के लिए पैसे उठाने लगे थे …मकान मालिक ने कहा …अरे रहने दो….दस रुपये मैं लगा रहा हूँ …हो जायेगा …यमुना में प्रवाहित ही तो करना है …..कोई बात नही भक्त थी ….भजन करती …कभी किसी से कुछ नही कहती …बस …”मेरा मीत , मेरा मीत कृष्णा” यही कहती फिरती थी …..मकान मालिक और पड़ोसी आपस में बातें करते जा रहे हैं ….और अर्थी भी तैयार कर रहे हैं….बाँस लेकर साइकिल में दो लोग आगये हैं ….मैं कहता माई ! तेरा बेटा है कृष्णा ? तो मुँह बना लेती …कहती हट्ट ! मीत है….मेरा मीत ! और ये कहते हुए उसका मुख लाल हो जाता था …जैसे कोई नयी नवेली छोरी शरमा गयी हो ।

अर्थी तैयार हो गयी थी ….”हरे कृष्ण महामन्त्र” लिखी हुयी चादर ओढ़ा दी थी ….उसके मस्तक में गौड़ीय वैष्णव तिलक लगा दिया था …अभी भी देखो – कितना तेज है ….मुस्कुराता हुआ मुख है अभी भी …मकान मालिक गौर दासी के शरीर को उठाकर अर्थी में रखता है …दो पड़ोसी लोग बांधते हैं ..और फिर ….”गोपाल नाम सत्य है”…..”राम नाम सत्य है” ..लोग लेकर चल दिए हैं ।

कि तभी –

पीछे से एक ताँगा आया….उसमें एक युवा बैठा है ….उसने रुकवायी अर्थी को ….सब लोग देख रहे हैं ये क्या है ? ये कौन है ? पर वो देखने में अत्यन्त सुन्दर है …घुंघराले केश …सुन्दरतम बड़े बड़े नयन …बड़ी किनारी की ताँत की धोती ..ऊपर सिल्क का सुन्दर कुर्ता …अत्यन्त मोहक ।

उसने आगे आकर अर्थी को पकड़ा ….उस समय कोई क्या पूछे ….अर्थी को लेकर वो चल रहा था ….ओह ! ये मुख तो चित्र में भगवान श्रीकृष्ण से मिलता है …..ये गौर दासी का मीत ? मकान मालिक को रोमांच हुआ ….क्यों की आगे अर्थी मकान मालिक ही पकड़े हुये था और साथ में ये सुन्दर युवा ।

यमुना में जाकर रज लगा दिया मस्तक में गौर दासी के …उसने एक बार झुक कर गौर दासी को देखा …उसके झुर्रियों से भरे कपोल को छुआ …..फिर यमुना में प्रवाहित ।

वो कहाँ गया ?
मकान मालिक ने चारों ओर देखा वो चला गया था … .मकान मालिक इधर उधर दौड़ा पर नही मिला वो ….वो कौन था …कहाँ से आया था ….किसी को पता नही …..ये कुछ दिन तक चर्चा का विषय बना रहा श्रीवृन्दावन में ।

क्या आप नही मानोगे कि वो गौर दासी का ही मीत श्रीकृष्णा था ?


सन् 1899 क्षितिश चन्द्र चक्रवर्ती और उनकी पत्नी लोलिता ने एक कन्या को जन्म दिया ।

ढाका के “चांगडी” नामक गाँव में ….क्षितिश चन्द्र बंग क्षेत्र के महान वैद्य थे ….नाड़ी विज्ञान के श्रेष्ठ ज्ञाता थे …कुछ नही , रोगी को अपना रोग बताना नही पड़ता था …क्षितिश चन्द्र स्वयं ही नाड़ी देखकर बता देते ….कलकत्ता से लोग ढाका आते सिर्फ अपना इलाज कराने …..मान प्रतिष्ठा खूब थी पूरे ही बंग क्षेत्र में ….एक बालक हुआ , नाम रखा बालक का – शिशिर चक्रवर्ती ….बालक होनहार था …बड़े होने पर इसे वकील की पढ़ाई के लिए इंग्लेंड भेज दिया ।

ढाका में एक प्रसिद्ध गौडिया मठ …..जिसके बारे में कहते हैं कि श्रीचैतन्य महाप्रभु वहाँ पधारे थे ….वहाँ के एक वैष्णव साधु से क्षितिश चन्द्र जी की मित्रता हो गयी …..धीरे धीरे वो वैष्णव भी बन गये ….वो ही क्यों उनकी पत्नी लोलिता भी वैष्णव बनकर ठाकुर जी की सेवा-पूजा करने लगीं ….उन्हीं दिनों इनके एक पुत्री हुयी …….पुत्री बहुत सुन्दरी थी ….गौर वर्णी ….बड़ी बड़ी आँखें ……इसका नाम माता पिता ने बड़े प्यार से रखा “गौरा” । ये जब गर्भ में थी तभी भागवत की कथा बंगाली भाषा में चक्रवर्ती महोदय अपनी पत्नी को सुनाते थे । गौरा अभी दो महीने की ही हुयी थी कि इसकी वात्सल्यमयी माँ लोलिता परलोक सिधार गयीं ।

बहुत कष्ट हुआ क्षितिश चन्द्र जी को …अब इस बालिका की सम्भाल कौन करेगा ?

लोगों ने सलाह दी दूसरा विवाह कर लो …पर ये नही माने …और स्वयं ही अपनी पुत्री का सार-सम्भाल करने लगे …उसे हरिनाम सुनाते …उसे भागवत की कथा सुनाते ….इस तरह गौरा बढ़ी हो रही थी ।

शेष कल –



This lady used to live near Gopeshwar Mahadev… Bengali body… lived her life by doing kirtan in “Bhajanashram”… Her body became calm this morning itself…. What is its name? “Gaur Dasi”….the landlord told. His friend is Krishna….and this Gaur maid used to say that till he does not come, his body should not be flown in Yamuna. Friend? Who is Krishna? The people of the neighborhood who had come to take the body of this Bengali lady to the ghat…they started smiling. She used to say to Lord Krishna….good! Good ! Tell us what to do! The people of the neighborhood have other work….Now few will stay behind this Gaur Dasi for the whole day….”In any case there are many Bengalis in Vrindavan”….one also said this.

“But it was from Bangladesh”…..Neighbours are talking among themselves….Yes, Bangladesh was in our India only till yesterday…All those who belong to Bangladesh are Muslims, it is just a matter of fact.

He does not have any knowledge of history… the other has also said this… well, don’t make things up, at least help me to remove the things from inside. The landlord was also taking out her belongings from Gaur Dasi’s room….Gaur Dasi’s body is outside near the Tulsi plant…..some of her friends Bengali women have come and are crying and reciting Mahamantra.

See ! There was this picture near it…a big picture of Lord Krishna…..curly hair…murli in hand…..smiling….whatever you see just keep watching. can i keep it The neighbor’s man asked. No, such a beautiful picture….This picture will remain here…the landlord said….but the smile in the picture was such that everyone felt that Lord Krishna was looking at us only.

The landlord has thrown out all the belongings of Gaur Dasi….. Mahamantra chanting is going on. Now who will give money to these people who are doing kirtan? The landlord is worried….. why the money did not come out of the room? The neighbor asked sarcastically. Hey ! The poor woman used to do kirtan for eight hours in the Bhajanashram….then went and cooked rice and ate….where did she have money….she had not given me money for six months….but whatever she may say, she was a great devotee! She used to do kirtan the whole night…we used to hear the sound of crying too..”Krishna used to cry a lot while saying Krishna”, we also used to listen…..the neighbor also said.

Come brother, take two rupees from my side….Neighbors started collecting money for Gaur Dasi…The landlord said…Hey let it be….I am putting ten rupees…It will happen…It has to flow in Yamuna… ..No problem, she was a devotee….She used to do bhajan…never said anything to anyone…just… “my friend, my friend Krishna” used to keep saying this…..the landlord and the neighbor are talking to each other….and The bier is also being prepared….Two people have come on a bicycle carrying bamboo….I say mother! Is Krishna your son? Then she would have made a face… she would have been stubborn! It is a friend….my friend! And while saying this, her face used to turn red… as if a young girl was blushing.

Arthi was ready….”Hare Krishna Mahamantra” was covered with a sheet….Gaudiya Vaishnav tilak was applied on his forehead…still look – how sharp it is….smiling face is still there…landlord Gaur Dasi He picks up the body and puts it in the bier… two neighbors tie it.. and then….”Gopal naam Satya hai”….. “Ram naam Satya hai”…..people carry it away.

That’s when –

A tonga came from behind….a young man is sitting in it….he stopped the bier….everybody is watching what is this? who is this ? But she is very beautiful to look at… curly hair… beautiful big eyes… dhoti with big lace thread… beautiful silk kurta on top… very attractive.

He came forward and caught the bier….what could anyone ask at that time….he was walking with the bier….oh! This face resembles that of Lord Krishna in the picture….. This Gaur Dasi’s friend? The landlord was thrilled… because the landlord was holding the bier in front and this handsome young man was with him.

After going to the Yamuna, he smeared the forehead of Gaur Dasi… He bowed once and looked at Gaur Dasi… touched her wrinkled forehead… then flowed into the Yamuna.

Where did he go? The landlord looked around, he was gone….The landlord ran hither and thither but could not find him….Who was he…Where did he come from….Nobody knew….This became a topic of discussion for a few days in Sri Vrindavan In .

Wouldn’t you believe that he was Gaur Dasi’s friend Shri Krishna?

In 1899, Kshitish Chandra Chakraborty and his wife Lolita gave birth to a girl child.

In a village named “Changadi” of Dhaka….Kshitish Chandra was a great physician of Bang area….was the best knower of pulse science…nothing, the patient did not have to tell his disease…Kshitish Chandra himself would tell by looking at the pulse….Calcutta People used to come to Dhaka just to get their treatment….There was a lot of respect and prestige in the entire Bang area….A boy was born, the boy was named – Shishir Chakraborty….The boy was promising…When he grew up, he was sent to England to study as a lawyer. Gave .

A famous Gaudiya Math in Dhaka…..about which it is said that Sri Chaitanya Mahaprabhu had visited there….Kshitish Chandra ji became friends with a Vaishnava monk there….slowly he also became a Vaishnava….why only him His wife Lolita also became a Vaishnava and started serving and worshiping Thakur ji….In those days she had a daughter…….The daughter was very beautiful….Gour Varni….Big eyes……Parents named her with great love” Gaura”. When she was in the womb, Chakraborty sir used to tell the story of Bhagwat to his wife in Bengali language. Gaura was just two months old when her loving mother Lolita passed away.

Kshitish Chandra ji was in a lot of trouble… who will take care of this girl now?

People advised to get married again… but he did not agree… and he himself started taking care of his daughter… reciting Harinam to her… narrating the story of Bhagwat to her… In this way Gaura was growing up.

rest of tomorrow

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