स्वास्तिक क्या है!

हिन्दू धर्म में स्वास्तिक  को धर्म का प्रतीक चिह्न माना गया है। इसे कुशलक्षेम, शुभकामना, आशीर्वाद, पुण्य, शुभभावना, पाप-प्रक्षालन तथा दान स्वीकार करने के रूप में भी प्रयोग किया जाता है। स्व‍ास्तिक कई चीजों से बनाए जाते हैं, जैसे कुंमकुंम, हल्दी, सिंदूर, रोली, गोबर, रंगोली तथा अक्षत का स्वास्तिक।

स्वस्तिक संस्कृत के स्वस्ति शब्द से निर्मित है। स्व और अस्ति से बने स्वस्ति का अर्थ है कल्याण। यह मानव समाज एवं विश्व के कल्याण की भावना का प्रतीक है।

स्वास्तिक एक शुभ प्रतीक माना जाता है, जो अनादि काल से विद्यमान होकर संपूर्ण सृष्टि में व्याप्त रहा है। सभ्यता और संस्कृति के पुरातन लेख केवल हमारे वेद और पुराण ही हैं और हमारे ऋषियों ने उनमें स्वास्तिक का मान प्रस्तुत किया है।

स्वास्तिक में अतिगूढ़ अर्थ एवं निगूढ़ रहस्य छिपा है। गणपति के ‘गं’ बीजाक्षर का चिह्न भी स्वस्ति जैसा प्रतीत होता है। इसके रूप एवं समूचे मंत्र का स्वरूप स्वास्तिक का आकार ग्रहण करता है।

प्राचीन मान्यता के अनुसार यह सूर्य मंडल के चारों ओर चार विद्युत केंद्र के समान लगता है।

यजुर्वेद हिन्दू धर्म का एक महत्वपूर्ण धर्मग्रंथ है। यजुर्वेद की इस कल्याणकारी एवं मंगलकारी शुभकामना, स्वस्तिवाचन में स्वस्तिक का निहितार्थ छिपा है। हर मंगल एवं शुभ कार्य में इसका भाव भरा वाचन किया जाता है, जिसे स्वस्तिवाचन कहा जाता है।

यह चार वेदों में से एक है। इसकी पूर्व दिशा में वृद्धश्रवा इंद्र, दक्षिण में वृहस्पति इंद्र, पश्चिम में पूषा-विश्ववेदा इंद्र तथा उत्तर दिशा में अरिष्टनेमि इंद्र अवस्थित हैं।

हिन्दू सनातन धर्म में स्वास्तिक का बहुत महत्व है। स्वास्तिक को सृष्टिचक्र की संज्ञा दी गई है। बिना स्वास्तिक बनाए कोई भी पूजा, वि‍धान और यज्ञ पूर्ण नहीं माना जाता है। प्रत्येक शुभ कार्य की शुरुआत में और त्योहारों पर हर घर के मुख्य द्वार पर स्वास्तिक लगाना अतिशुभ फलदायी माना जाता है।



In Hindu religion, Swastik has been considered as the symbol of religion. It is also used in the form of well-being, good luck, blessings, virtue, goodwill, sin-cleansing and accepting donations. Swastiks are made from many things, such as kumkum, turmeric, vermilion, roli, cow dung, rangoli and Akshat’s swastika.

Swastika is derived from the Sanskrit word Swasti. Swasti made of self and asti means welfare. It is a symbol of the welfare of human society and the world.

Swastik is considered an auspicious symbol, which has existed since time immemorial and has been pervading the entire universe. The ancient articles of civilization and culture are only our Vedas and Puranas and our sages have presented the value of Swastik in them.

There is a very deep meaning and deep secret hidden in Swastik. The symbol of Ganapati’s ‘Gam’ alphabet also looks like Swasti. Its form and the form of the entire mantra takes the shape of a swastika.

According to ancient belief, it looks like four power centers around the solar system.

Yajurveda is an important scripture of Hinduism. The implication of Swastik is hidden in this auspicious and auspicious wish of Yajurveda, Swastivachan. It is read full of emotion in every auspicious and auspicious work, which is called Swastivachan.

It is one of the four Vedas. Vriddhashrava Indra is situated in its east, Brihaspati Indra in the south, Pusha-Vishwaveda Indra in the west and Arishtanemi Indra in the north.

Swastik has great importance in Hindu Sanatan Dharma. Swastik has been given the noun of Srishtichakra. No worship, law and yagya is considered complete without making a swastika. At the beginning of every auspicious work and on festivals, applying Swastik at the main door of every house is considered very auspicious and fruitful.

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