गुरु ने कहा– भागो मत,बासुरी बजाओ,गीत गाओ,जीवन के,जीवन के आनंद के। प्रेम करो जी भर करो क्योंकि इसी प्रेम से परिपक्वता आएगी।इसी प्रेम से समझ आएगी कि एक शाश्वत प्रेम भी है,जो इसके पार है।इसी प्रेम को कर के दिखेगा कि ये प्रेम क्षणभंगुर है,बुलबुले जैसा अभी बना अभी मिटा।इसी प्रेम से उस शाश्वत प्रेम का स्वाद लगेगा।यही प्रेम धीरे धीरे परमात्मा की देहरी तक ले जाएगा।
आनंद की अनुभूति बाहर से नहीं होती। भूल करके आनंद को सुख न समझना। आनंद और सुख में अंतर है। सुख दुख का अभाव है; जहां दुख नहीं है वहां सुख है। दुख सुख का अभाव है; जहां सुख नहीं है वहां दुख है। आनंद दुख और सुख दोनों का अभाव है; जहां दुख और सुख दोनों नहीं हैं, वैसी चित्तकी परिपूर्ण शांत स्थिति आनंद की स्थिति है। आनंद का अर्थ है– जहां बाहर से कुछ भी हमें प्रभावित नहीं कर रहा–न दुख का और न सुख का। हमारा चित्त बाहर से प्रभावित होता है तो लहरें उठती हैं सुख की, और दुख की और जब हमारा चित्त बाहर से अप्रभावित नही होता है…तब उस स्थिति का नाम आनंद है। सुख और दुख अनुभूतियां हैं बाहर से आई हुईं, आनंद वह अनुभूति है जब बाहर से कुछ भी नहीं आता। आनंद बाहर का अनुभव न होकर अपना अनुभव है। आनंद भीतर की अवस्था है।जब हमारी इच्छाएं उत्पन्न होना बंद कर दे,तब आनंद की उत्पत्ति होती है।दूसरो को जब हमारी वजह से खुशी मिलती है,तब आनंद की अनुभूति होती है।तो खुश रहो और दूसरो को भी खुशी बांटते रहो।
जय जय श्री राधे कृष्णा जी।श्री हरि आपका कल्याण करें।
Today’s message from the Lord.
The Guru said- Don’t run away, play the flute, sing songs of life, of the joy of life. Love with all your heart because through this love you will attain maturity. Through this love you will understand that there is an eternal love which is beyond this. By doing this love you will see that this love is fleeting, like a bubble which is formed just now and then disappears. This love You will taste that eternal love. This love will gradually take you to the threshold of God.
Happiness is not felt from outside. Don’t mistake joy for happiness. There is a difference between joy and happiness. Happiness is the absence of sorrow; Where there is no sorrow there is happiness. Suffering is the absence of happiness; Where there is no happiness there is sorrow. Bliss is the absence of both pain and pleasure; Where there is neither sorrow nor happiness, the state of complete calmness of the mind is the state of bliss. Happiness means where nothing from outside is affecting us – neither sorrow nor happiness. When our mind is influenced from outside then waves of happiness and sorrow arise and when our mind is not unaffected from outside… then the name of that state is happiness. Happiness and sadness are experiences that come from outside, happiness is that feeling when nothing comes from outside. Happiness is not an external experience but is our own experience. Happiness is an inner state. When our desires stop arising, then happiness arises. When others get happiness because of us, then we feel happiness. So be happy and keep sharing happiness with others too.
Jai Jai Shri Radhe Krishna Ji. May Shri Hari bless you.🙏🏻🪷