कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राह को निहारु,
बीती जाए अपनी उमरियाँ अब तो दर्श दिखा दो मोरे कान्हा,
कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राधा को निहारु,
जब से तुझ संग नैना लागे और कही न लागे,
आज कहे गा राग दर्श के प्यासे मोरे नैना दिन रेन न है जागे,
अब तो आकर मोरे कान्हा नैनो की प्यास बुजादो
कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राधा को निहारु,
मैंने सुना तुम सुनते हो सबकी,
मेरी बार क्यों देरी,
सब की तुमने बिगड़ी बना दी मुझसे आँख क्यों फेरी,
यु तरसना छोड़ के मोहन दासी की बिगड़ी बना दो,
मोरे कान्हा अब तो दर्श दिखा दो,
कान्हा कान्हा कब से पुकारू हर पल तोरी राधा को निहारु,
Since when should I call Kanha Kanha, look at Tori Raah every moment,
Let your age pass, now show your vision, more Kanha,
Since when should I call Kanha Kanha, Tori will always look at Radha,
Ever since Naina started with you and did not go anywhere,
Say today that you are thirsty for raga darshan, naina din rain na hai awake,
Now come and quench the thirst of more Kanha Nano
Since when should I call Kanha Kanha, Tori will always look at Radha,
I heard you listen to everyone,
Why delay my time,
Why did you turn your eyes away from me?
Give up your longing and make Mohan’s maid spoiled,
More Kanha now show me the vision,
Since when should I call Kanha Kanha, Tori will always look at Radha,