तुम्हारा जब नाता टूटता है, तभी तुम दुखी होते हो। बीमारी का अर्थ है कि इस प्रकृति से तुम्हारा नाता टूटा। दुख का अर्थ है कि परमात्मा से तुम्हारा नाता टूटा। शरीर जब प्रकृति से विपरीत चलता है, तो बीमारी; और जब चेतना परमात्मा के विपरीत चलने लगती है, तो दुख। जब शरीर प्रकृति के अनुकूल चलता है और साथ-साथ बहता है, तो स्वास्थ्य। और जब आत्मा परमात्मा के साथ-साथ चलती है, अनुकूल बहती है, तो आनंद।
नानक कहते हैं कि गीत उसके द्वार पर हैं। गीत ही उसका द्वार है। उत्सव उसकी साधना है। यह सारा अस्तित्व नानक कहते हैं, उसके गीत से भरा है। बहरे हो तुम जो दिखायी नहीं पड़ता, सुनायी नहीं पड़ता। एक-एक पत्ती पर, एक-एक फूल पर वही लिखा है। इतने रंग उसने लिए हैं। इन सभी रंगों में, इन इंद्रधनुषी रंगों में उसी का तो गान है। उसी का उत्सव है।
जो तुझे भाते हैं और तुझ में अनुरक्त हैं, ऐसे रसिक भक्त तेरा यशोगान करते हैं।
नानक के शब्द प्यारे हैं-
गावहि तुहनो पउणु पाणी वैसंतरु गावे राजा धरम दुआरे।।
गावहि चितगुपतु लिखि जाणहि लिखि लिखि धरमु वीचारे।
गावहि ईसरु बरमा देवी सोहनि सदा सवारे।।
गावहि इंद इंदासणि बैठे देवतिया दरि नाले।
गावहि सिध समाधी अंदरि गावनि साध विचारे।।
गावनि जती सती संतोखी गावहि वीर करारे।
गावनि पंडित पड़नि रखीसर जुगु जुगु वेदा नाले।।
गावनि मोहणीआ मनु मोहनि सुरगा मछ पइआले।
गावनि रतनि उपाए तेरे अठसठि तीरथ नाले।।
गावहि जोध महाबल सूरा गावहि खाणी चारे।
गावहि खंड मंडल वरमंडा करि करि रखे धारे।।
सेई तुधनो गावनि जो तुधु भावनि रते तेरे भगत रसाले।
होरि केते गावनि से मैं चिति न आवनि नानकु किया विचारे।।
नानक कहते हैं कि और कितने तेरा गुणगान करते हैं, इसका अनुमान मैं नहीं लगा सकता। मैं क्या विचार करूं? वही और वही सच्चा साहब है, वही सत्य है, वही सत्य नाम है। वह है, और वह सदा होगा। वह न जाता है, न जाएगा।
सोई सोई सदा सचु साहिबु साचा साची नाई।
है भी होसी जाई न जासी रचना जिनि रचाई।।
वह परमात्मा एकमात्र सत्य है, और शेष सब उस सत्य का उत्सव है।
नानक, माया में जो दंश है, उसे अलग कर लेते हैं। माया में जो निंदा का भाव है, उसे अलग कर लेते हैं। और जिस रहस्य को शंकर नहीं खोल पाते, उसे नानक खोल लेते हैं। शंकर के लिए बड़ी कठिनाई है। क्योंकि शंकर बहुत तर्कनिष्ठ चिंतक हैं। और उनकी पूरी आकांक्षा यह है कि जगत की पूरी व्यवस्था को तार्किक ढंग से समझाया जा सके, गणित के ढंग से समझाया जा सके। वह बड़ी कठिनाई में हैं।
माया और ब्रह्म- एक तरफ तो शंकर जानते हैं कि माया नहीं है। क्योंकि जो नहीं है, उसी का नाम माया है। जो दिखायी पड़ती है और नहीं है, उसी का नाम माया है। और ब्रह्म, जो दिखायी नहीं पड़ता और है। माया सदा परिवर्तनशील है, सपने की भांति। ब्रह्म सदा सत्य है, शाश्वत है।
शंकर के सामने सवाल है, पूरे अद्वैत-वेदांत के सामने सवाल है, कि माया पैदा कैसे होती है? क्यों होती है? अगर बिलकुल नहीं है, तब तो सवाल ही क्या है! तब तो किसी को यह भी कहना कि क्यों माया में उलझे हो? नासमझी है। क्योंकि जो है ही नहीं, उसमें कोई कैसे उलझेगा? तब यह कहना कि छोड़ो माया, व्यर्थ की बकवास है। क्योंकि जो है ही नहीं, उसे कोई छोड़ेगा कैसे? और जो है ही नहीं, उसे कोई पकड़ेगा कैसे? तो माया है तो! तभी छोड़ना है, तभी पकड़ना है।
और अगर माया है तो बिना परमात्मा के कैसे होगी? उसका सहारा तो होने के लिए चाहिए। सपना भी होगा, तो वह सपना देखता है इसलिए है। तो बड़ी कठिनाई है अद्वैत-वेदांत के सामने कि कैसे हल करो इस बात को? अगर परमात्मा ही पैदा कर रहा है माया, तो ये महात्मागण जो लोगों को समझा रहे हैं, छोड़ो माया; ये परमात्मा के दुश्मन मालूम पड़ते हैं। और अगर परमात्मा ही पकड़ा रहा है, तो हम कैसे छोड़ सकेंगे? हमारा क्या बस? और जब उसकी ही मर्जी है, तो उसकी मर्जी ठीक है।
माया आती कहां से है? अगर ब्रह्म से ही पैदा होती है, तो जो सत्य से पैदा होती है, वह असत्य कैसे होगी? सत्य से तो सत्य ही पैदा होगा। या अगर माया असत्य है, तो जिस ब्रह्म से पैदा होती है, वह असत्य होगा। दोनों एक गुणधर्म के होंगे; या तो दोनों सत्य, या तो दोनों असत्य।
When your relationship breaks, you feel sad. Illness means that your connection with nature has been broken. Sadness means that your connection with God is broken. When the body moves contrary to nature, it causes disease; And when consciousness starts moving against God, then there is sorrow. When the body moves and flows with nature, there is health. And when the soul moves along with God, flows smoothly, then there is happiness.
Nanak says that the songs are at his door. Song is its door. Celebration is his sadhana. This entire existence, says Nanak, is filled with his song. You are deaf which cannot be seen, cannot be heard. The same thing is written on every leaf and every flower. He has taken so many colors. In all these colors, in these rainbow colors, there is praise of Him. It is a celebration of that.
Those devotees who like you and are attached to you, sing your praises.
Nanak’s words are lovely- Gavehi tuhno paunu paani vaisantaru Gave Raja Dharam Duare.
Gavahi Chitguptu Likhi Janahi Likhi Likhi Dharmu Vichare. Gavahi Isaru Barma Devi Sohni Sada Saware.
In the village, Inda Indasani sits near the drain near Devatiya. Gaavhi Sidh Samadhi Andri Gavani Sadh Vichare.
The villages are full of saints and the villages are brave. Village Pandit Padani Rakhi Sir Jugu Jugu Veda Nala.
Gaavani Mohaniya Manu Mohani Suraga Mach Paiyale. Your sixty-eight pilgrimage drains will cure the gems of the village.
Gaavhi Jodh Mahabal Sura Gaavhi Khani Chare. Gaavahi Khand Mandal keeps doing Varmanda and streams.
Sei tudhno gavani jo tudhu bhavani rate tere bhagat rasale. Hori Kete Gavani Se Main Chiti Na Avni Nanaku Kiya Vichare.
Nanak says that I cannot estimate how many others praise you. What should I consider? He and He is the true master, He is the truth, He is the true name. He is, and he always will be. He neither goes nor will go.
Soi Soi Sada Sachu Sahibu Sacha Sachi Nai. It is also a wonderful creation created by a genius.
That God is the only truth, and everything else is a celebration of that truth.
Nanak, we remove the sting of Maya. We separate the feeling of condemnation from Maya. And the secret which Shankar could not reveal, Nanak revealed. There is great difficulty for Shankar. Because Shankar is a very logical thinker. And his whole aspiration is that the entire system of the world can be explained logically, mathematically. He is in great trouble.
Maya and Brahma- On one hand Shankar knows that there is no Maya. Because that which is not there is called Maya. That which is visible and is not there is called Maya. And Brahma, which is not visible and exists. Maya is always changing, like dreams. Brahma is always true, eternal.
The question before Shankar, the question before the entire Advaita-Vedanta is, how does Maya arise? Why does it happen? If it is not there at all, then what is the question? Then why should you even ask someone why you are entangled in Maya? This is foolishness. Because how can anyone get entangled in something that does not exist? Then saying leave Maya is useless nonsense. Because how can anyone leave something that does not exist? And how will anyone catch that which does not exist? So it is Maya! Only then we have to let go, only then we have to hold on.
And if there is Maya then how can it exist without God? He needs to be supported. If there is a dream, then that is why he dreams. So the big difficulty before Advaita-Vedanta is how to solve this matter? If only God is creating Maya, then these Mahatmas who are explaining to the people, leave Maya; They seem to be enemies of God. And if God is holding us back, then how will we be able to let go? What about us? And when it is his will, his will is right.
Where does Maya come from? If everything is born from Brahma, then how can that which is born from truth be untrue? From truth only truth will arise. Or if Maya is unreal, then the Brahman from which it arises will be unreal. Both will be of the same quality; Either both true, or both false.