सफला एकादशी का व्रत २६ दिसंबर को रखा जाएगा। सफला एकादशी पौष माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी तिथि को रखा जाता है। यह अंग्रेजी कैलेंडर के दिसंबर या जनवरी माह में पड़ता है। इस दिन व्रत रखते हैं और भगवान विष्णु की विधिपूर्वक पूजा करते हैं। इस व्रत के पुण्य प्रभाव एवं श्रीहरि की कृपा से कार्यों में सफलता प्राप्त होती है। इस बार सफला एकादशी के दिन सुकर्मा योग बना है, यह एक शुभ योग है। कहा जाता है कि आपको किसी भी शुभ कार्य में सफलता की चाह है तो उससे पूर्व सफला एकादशी का व्रत करें। पूजा के समय सफला एकादशी की कथा पढ़ें ! आपको मनमुताबिक सफलता प्राप्त हो सकती है।
सफला एकादशी व्रत कथा-
एक बार धर्मराज युधिष्ठिर ने भगवान श्रीकृष्ण से पौष कृष्ण एकादशी व्रत की महिमा का वर्णन करने का अनुरोध किया। इस पर भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि इस एकादशी को सफला एकादशी के नाम से जानते हैं क्योंकि यह सफलता प्रदान करने वाली मानी गई है। विष्णु कृपा से यह व्रत रखने वाले व्यक्ति के पाप मिटते हैं और उसके मोक्ष की प्राप्ति होती है।
कथा-
चंपावती के राजा महिष्मान के ४ पुत्र थे। उनका सबसे बड़ा बेटा लुंपक दुराचारी, लोभी, कामी था। वह मांस और मदिरा का सेवन करने वाला था। वह संतजनों, देवी, देवता आदि का अपमान करता रहता था। उसके इस व्यवहार से राजा महिष्मान काफी परेशान और चिंतित रहते थे। एक दिन वह उससे इतना तंग आ गए कि उसे महल और राज्य से बाहर कर दिया।
वह अपनी गलत आदतों के कारण नगर में चोरी करने लगा था, जिससे वहां के नागरिक भी परेशान हो गए थे। लुंपक पास के ही एक जंगल में रहता था। वहां पर एक पीपल के पेड़ की पूजा नगरवासी करते थे। वह उस पेड़ के नीचे रहने लगा। पौष कृष्ण दशमी की रात उसे काफी सर्दी लग रही थी, कपड़े कम थे, सर्द से उसका शरीर अकड़ गया, फिर भी वह सोया रहा। अगले दिन एकादशी थी, सूर्योदय हुआ, सूरज की तेज किरणें जब उसके शरीर पर पड़ीं और गर्मी होने लगी तो उसकी नींद टूटी।
उसे काफी भूख और प्यास लगी हुई थी। वह पानी और कुछ खाने की तलाश में जंगल के अंदर चला गया। वह काफी कमजोर हो गया था, इस वजह से कोई शिकार नहीं कर पाया। कुछ फल तोड़े और उसी पीपल के पेड़ के नीचे आकर बैठ गया। सूर्यास्त के बाद अंधेरा हो गया था, उसने फल को एक ओर रख दिया और कहा कि हे प्रभु! यह फल आपको ही अर्पित है, आप स्वयं ही इसे खाओ ! उस रात वह सो नहीं पाया और जागता रहा।
एकादशी की रात्रि उसका जागरण हो गया। रात में वह अपने पाप कर्मों पर पश्चाताप कर रहा था। उसने भगवान से पूर्व पाप कर्मों के लिए क्षमा भी मांगी। अनजाने में किए गए एकादशी व्रत से भगवान विष्णु प्रसन्न हुए और उन्होंने अपने आशीर्वाद से लुंपक के पापों को मिटा दिया। उस समय आकाशवाणी हुई, जिसमें उसे बताया गया कि भगवान विष्णु ने उसके पापों को नष्ट कर दिया है। तुम अपने पिता के पास राजमहल में जाओ और कामकाज में उनकी मदद करो और राजा की गद्दी संभालो।
यह सुनकर लुंपक ने भगवान विष्णु के नाम का जयकारा लगाया। फिर प्रसन्न मन से महल लौट गया। पूरी बातें जानकर उसके पिता ने भी उसे माफ कर दिया और उसे वहां का राजा बना दिया। लुंपक धार्मिक कार्यों में समय देने लगा और राजपाट चलाने लगा। उसका विवाह हुआ और उसे संतान सुख प्राप्त हुआ। जीवन के अंत में उसे भगवान विष्णु की कृपा से मोक्ष की प्राप्ति हुई। जो व्यक्ति विधि विधान से सफला एकादशी का व्रत रखता है, उसके पाप मिटते हैं और मोक्ष मिलता है, कार्य में सफलता प्राप्त होती है।
सफला एकादशी २०२४ मुहूर्त और पारण-
पौष कृष्ण एकादशी तिथि का शुभारंभ-
२५ दिसंबर, बुधवार, रात १०:२९ बजे से।
पौष कृष्ण एकादशी तिथि का समापन-
२६ दिसंबर, गुरुवार, देर रात १२:४३ बजे।
परसुकर्मा योग-
२५ दिसंबर, प्रात: काल से रात १०:४२ बजे तक।
सफला एकादशी पारण समय-
२७ दिसंबर, शुक्रवार, सुबह ०७:१२ बजे से ०९:१६ बजे तक। ।। ॐ नमो भगवते वासुदेवाय ।।
Saphala Ekadashi fast will be observed on 26th December. Saphala Ekadashi is kept on the Ekadashi date of Krishna Paksha of Pausha month. It falls in the month of December or January of the English calendar. On this day, people observe fast and worship Lord Vishnu ritually. Due to the virtuous effect of this fast and the grace of Shri Hari, success in work is achieved. This time Sukarma Yoga has been formed on the day of Saphala Ekadashi, it is an auspicious Yoga. It is said that if you want success in any auspicious work, then fast on Saphala Ekadashi before that. Read the story of Saphala Ekadashi during puja! You may get the success you want.
Saphala Ekadashi fast story- Once Dharmaraja Yudhishthir requested Lord Shri Krishna to describe the glory of Pausha Krishna Ekadashi fast. On this, Lord Shri Krishna said that this Ekadashi is known as Saphala Ekadashi because it is considered to bestow success. By the grace of Vishnu, the sins of the person observing this fast are erased and he attains salvation.
Story- King Mahishman of Champavati had 4 sons. His eldest son Lumpak was mischievous, greedy and lustful. He was a consumer of meat and alcohol. He used to insult saints, gods, goddesses etc. King Mahishmaan was very upset and worried due to his behaviour. One day he became so fed up with him that he threw him out of the palace and the kingdom.
Due to his bad habits, he started stealing in the city, due to which the citizens there were also troubled. Lumpak lived in a nearby forest. The townspeople used to worship a Peepal tree there. He started living under that tree. On the night of Paush Krishna Dashami, he was feeling very cold, his clothes were less, his body became stiff due to cold, yet he kept sleeping. The next day was Ekadashi, the sun rose, when the bright rays of the sun fell on his body and it started getting hot, he woke up from sleep.
He was very hungry and thirsty. He went inside the forest in search of water and some food. He had become very weak, because of this no one could hunt. Plucked some fruits and sat under the same Peepal tree. After sunset it became dark, he kept the fruit aside and said, O Lord! This fruit is dedicated to you, eat it yourself! That night he could not sleep and remained awake.
He woke up on the night of Ekadashi. At night he was repenting his sinful deeds. He also asked God for forgiveness for his past sins. Lord Vishnu was pleased with the Ekadashi fast observed unknowingly and with his blessings he erased Lumpak’s sins. At that time a voice came from the sky, telling him that Lord Vishnu had destroyed his sins. You go to your father in the palace and help him in his work and take over the throne of the king.
Hearing this, Lumpak started chanting the name of Lord Vishnu. Then he returned to the palace with a happy heart. After knowing the whole story, his father also forgave him and made him the king of that place. Lumpak started devoting time to religious activities and started ruling the kingdom. He got married and was blessed with a child. At the end of his life he attained salvation by the grace of Lord Vishnu. The person who observes Saphala Ekadashi fast as per the rituals, his sins are erased and he attains salvation and gets success in his work.
Saphala Ekadashi 2024 Muhurat and Paran-
Inauguration of Paush Krishna Ekadashi Tithi- December 25, Wednesday, from 10:29 pm onwards.
Completion of Paush Krishna Ekadashi Tithi- 26th December, Thursday, 12:43 am.
Parasukarma Yoga- December 25, morning to 10:42 pm.
Safala Ekadashi Parana time- 27 December, Friday, 07:12 AM to 09:16 AM. , Invocation and Obeisance to Lord Krishna ..