भक्त भगवान नाथ श्री हरि मे सिमट जाना चाहता है। दिल मे ठहर ठहर कर एक ही भाव उठता कैसे प्राण नाथ मे खो जाऊ ।दिल को चैन मिले तो कैसे मिले। दिल बार बार पुकारता है कभी नमन करता है जल्दी से शीश नवाते हुए दिल ही दिल में भगवान को प्रणाम करता है। फिर राम राम राम राम परम पिता परमात्मा को प्रणाम है गुरुदेव को प्रणाम है मन ही मन प्रणाम करता है। भगवान को भजते हुए दिल में तङफ की लहर दौड़ जाती है। अहो मेरे स्वामी भगवान् नाथ मुझे दिखाई क्यों नहीं देते हैं। ये जग जंजाल छोड़ प्रभु तुम्हारी बन जाऊंगी ।मेरे भगवान तुम मुझे छोङ के चले गए हो दिल ढुंढता है तुम को तुम कंहा चले गए ।भगवान को राम राम राम, राम कृष्ण हरि, श्री राम श्री रामश्री राम नमन करता है अन्तर्मन से प्रभु प्राण से प्रार्थना करता है। इस दिल में धङकन तुम्हारे से ही है। दिल आस लिए बैठा है तुम कब आओगे। भक्त को किसी भी प्रकार का ज्ञान नहीं है कि भगवान की कैसे विनती करनी चाहिए। बस वह तो भगवान से मिलना चाहता है भगवान का बन जाना चाहता है ।भक्त भगवान के भाव मे खोया हुआ है कि भगवान से मिलन होगा मेरे भगवान एक दिन अवश्य आएंगे। इस भाव में खोया हुआ गृहस्थ के कार्य कर रहा है। भगवान को सांस सांस से पुकार रहा है। शरीर का भान भुल जाता है। नैन मुंद गए हैं। नैनो में जब प्रभु समा जाते हैं तब भक्त कार्य तो सभी करता है। लेकिन जगत को नैन उठाकर देखता नहीं है। नैन प्रभु में खो जाते हैं तब दुसरे नैन कहा से आए।जय श्री राम अनीता गर्ग
The devotee wants to be confined to Lord Nath Shri Hari. Staying in the heart, only one feeling arises, how can I get lost in life. If the heart gets peace, how can I get it? The heart calls out again and again, sometimes it bows down, while quickly bowing its head, it bows itself to God in the heart. Then Ram Ram Ram Ram is saluting to the Supreme Father, the Supreme Soul, salutations to Gurudev, the mind itself bows. While worshiping God, a wave of negativity runs in the heart. Oh my lord why can’t Bhagwan Nath see me. I will leave this world and become your Lord. My God, you have left me. Heart searches for you. Where did you go. Lord Rama, Ram Krishna Hari, Shri Ram, Shri Ram Shri Ram bows to the Lord. prays to. The beat in this heart is only from you. Heart is waiting for when will you come. The devotee does not have any kind of knowledge on how to pray to God. He just wants to meet God, wants to become God. The devotee is lost in the feeling of God that my God will surely come one day. Lost in this house is doing the work of the householder. Calling God with breath. The consciousness of the body is forgotten. Nain is gone. When the Lord is absorbed in Nano, then the devotee does all the work. But Nain does not look up at the world. Nain gets lost in the Lord, then where did the other Nain come from. Jai Shri Ram Anita Garg
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