भगवान् के अन्दर हमे अपना जीवन देखना है। भगवान् मे हमे भगवान् का जीवन दिखना चाहिए। साधक कहता है कि जिस तरह से मेरे अंदर परमात्मा जी ने धङकन दी है। उसी तरह जङ में भी धङकन हैं। मेरा प्रभु सब में समाया है। भगवान् मे जब हम अपना जीवन खोजेंगे तब सबसे पहले भगवान् की रचना को पढेंगे। रचना दो प्रकार की है। एक रचना में वेद शास्त्र धर्म और ग्रंथ आते हैं। दुसरी रचना यह है कि आप पहले अपने आप को पढो। साधक अपने आप से कहता है कि परमात्मा ने मुझे पुरण बनाया है। मै परमात्मा का चिन्तन किसी संसारिक सुख के लिए तो नहीं कर रहा। मै परमात्मा से क्या चाहता हूं। परमात्मा जी मै आपसे विनती करता हूं कि आपने मुझे बनाया है तो किसी कारण से बनाया है। खाना पिना सोना जिन्दगी की सच्चाई नहीं है।मैं जीवन की सच्चाई जानना चाहता हूं। हे परमात्मा जी क्या मैं आपके काम आ सकता हूं। हे परमात्मा जी कुछ तो जिम्मेदारी दो। मैं आपकी जिम्मेदारी को दिन रात एक कर के जी जान से निभाऊगा। इस तरह से साधक अपने भगवान् का बन जाना चाहता है। परमात्मा का
चिन्तन करते हुए परमात्मा को दिल में आखों में समा लेता है।साधक के दिल में परमात्मा की चेतना बनी रहती है।
अनीता गर्ग
We have to see our life within God. In God we should see the life of God. Sadhak says that the way God has given a beating inside me. In the same way, there are tremors in the heart. My Lord is in everyone. When we find our life in God, then first of all we will read the creation of God. There are two types of composition. Vedas, scriptures, religions and texts come in one composition. The second creation is that you read yourself first. Sadhak tells himself that God has made me a Puran. I am not thinking of God for any worldly happiness. What do I want from God? God, I request you that if you have made me, then you have made me for some reason. Eating and sleeping is not the reality of life. I want to know the truth of life. Oh God, can I be of your help? Oh God, give me some responsibility. I will fulfill your responsibility day and night one by one. In this way the seeker wants to become of his Lord. of the divine While meditating, he absorbs God in his eyes in the heart. The consciousness of God remains in the heart of the seeker. Anita Garg