आनंद का मतलब यह नहीं है कि अब दुख नहीं आएंगे। आनंद का मतलब यह है कि अब आप ऐसी व्याख्या नहीं करेंगे जो उन्हें दुख बना दे। आनंद का यह मतलब नहीं है कि अब सुख-ही-सुख आते चले जाएंगे, नहीं, आनंद का इतना ही मतलब है कि अब आप वे व्याख्याएं छोड़ देंगे जो उन्हें सुख बनाती थीं, या, सुख की सतत मांग करवाती थीं।
अब चीजें जैसी होंगी; होंगी- धूप धूप होगी, छाया छाया होगी। कभी धूप होगी, कभी छाया होगी और अब आप उनसे प्रभावित होना बंद हो जाएंगे, क्योंकि अब आप जानते हैं चीजें आती हैं, चीजें चली जाती हैं। और आप पर सब आता है और सब चला जाता है, फिर भी आप आप ही रह जाते हैं; और यह जो रह जाना है, यह जो ‘रिमेनिंग’, यह जो पीछे आपकी चेतना है, यही कृष्ण-चेतना है।
‘कृष्ण-कांशसनेस’ कहें, वह यह घड़ी है जब सुख और दुख आते हैं और जाते हैं और आप देखते रहते हैं; आप कहते हैं, सुख आया, सुख गया, और यह भी दूसरों की व्याख्या है, दूसरे इसको सुख कहते हैं, जो आया; और दूसरे इसको दुख कहते हैं, जो आया; ऐसा हो रहा है।
कृष्ण के लिए जो सार्थक है जीवन का शब्द, वह आनंद है। दुख और सुख दोनों सार्थक नहीं हैं, वह आनंद को ही बांटकर पैदा किए गए हैं। जिस आनंद को आप स्वीकार करते हैं उसे सुख कहते हैं और जिस आनंद को स्वीकार नहीं करते उसको दुख कहते हैं। वह आनंद को दो हिस्सों में बांटकर पैदा की गई व्याख्या है। इसलिए जब आप उस आनंद को स्वीकार करते हैं, वह सुख है; और जब स्वीकार नहीं करते हैं, वह दुख हो जाता है।
आनंद सत्य है, पूर्ण सत्य है। इसलिए आनंद से उलटा कोई शब्द नहीं है। सुख का उलटा दुख है। प्रेम का उलटा घृणा है। बंधन का उलटा मुक्ति है। आनंद का कोई उलटा शब्द नहीं है। आनंद से उलटी कोई अवस्था ही नहीं है। इसलिए स्वर्ग के खिलाफ नर्क है, लेकिन मोक्ष के खिलाफ कुछ भी नहीं है। क्योंकि मोक्ष आनंद की अवस्था है। उसके खिलाफ कोई जगह बनाने का उपाय नहीं है। मोक्ष का मतलब ही यही है कि अब सुख-दुख दोनों के लिए एक-सा राजीपन आ गया, एक-सी स्वीकृति का भाव आ गया। ।। कृष्ण कृष्ण हरे हरे ।।
Happiness does not mean that there will be no more sorrows. Joy means that you will no longer make interpretations that will make them sad. Happiness does not mean that happiness will keep coming, no, happiness only means that now you will give up those explanations which made them happiness, or made you continuously demand happiness.
Now things will be like; There will be sunshine, there will be shade, there will be shade. Sometimes there will be sunshine, sometimes there will be shadow and now you will stop being affected by them, because now you know things come, things go. And everything comes to you and everything goes, yet you remain yourself; And this remaining, this ‘remaining’, this consciousness behind you, this is Krishna-consciousness.
Call it ‘Krishna-consciousness’, that is this moment when happiness and sorrow come and go and you keep watching; You say, happiness came, happiness went, and this is also the interpretation of others, others call it happiness, which came; And others call it sorrow that has come; This is happening.
The word of life which is meaningful for Krishna is Anand. Both sorrow and happiness are not meaningful, they are created by dividing happiness. The joy which you accept is called happiness and the joy which you do not accept is called sorrow. That is an explanation created by dividing joy into two parts. So when you accept that joy, that is happiness; And when not accepted, he becomes sad.
Happiness is truth, absolute truth. Therefore there is no word opposite to happiness. The opposite of happiness is sadness. The opposite of love is hate. The opposite of bondage is liberation. There is no opposite word for happiness. There is no state contrary to happiness. Therefore there is hell against heaven, but there is nothing against salvation. Because salvation is a state of bliss. There is no way to make any room against it. The meaning of salvation is that now there is equal willingness and acceptance for both happiness and sorrow. , Krishna Krishna Hare Hare.