भगवान को धन्यावाद

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एक दीपक प्रज्वलित करके भगवान् को अन्तर मन से धन्यवाद करे कि हे भगवान् तुमने मुझे बना कर पृथ्वी पर भेजा है। तुम मेरे अंदर समाये हुए हो। तुम पूरञ ब्रह्म परमात्मा हो।हे स्वामी हे भगवान् नाथ तुम ही राम हो तुम ही कृष्ण हो। ब्रह्मा विष्णु महेश भी तुम ही हो। तुम मे सभी देवी-देवता समाये हुए हैं। और मैं भी तुम मे समाया हुआ हू। हे परमात्मा हे सर्वशक्तिमान् प्रभु इस विश्व के रचना कार तुम हो। हे स्वामी हे भगवान् नाथ तुम मन्दिर और मुर्ति में ही नहीं जङ चेतन में भी समाये हुए हो। तुम्हारी पुजा मन्दिर में घंटी बजाने से मुर्ति के सामने दो चार श्लोक पढ़ने से ही पूरञ नही होती है। तुम्हारी पुजा तो मात्र इतनी सी है कि प्राणी अपने आप को पढ ले अपने विचारों को शुद्ध करले। जब प्राणी अपनी भावनाओं को विचारों को स्वयं पढ़ने लग जायगा। अपने अंदर उसे खोट नजर आयेगा। परमात्मा की असली पुजा यही है।
अनीता गर्ग



Light a lamp and thank God from the heart that you have sent me to earth after making me. You are inside me. You are the Supreme Brahman. Oh lord, Lord Nath, you are Rama, you are Krishna. You are also Brahma Vishnu Mahesh. All the deities are merged in you. And I am also absorbed in you. O God, O Almighty Lord, you are the creator of this world. O lord, Lord Nath, you are absorbed not only in the temple and the idol but also in the conscious. Your worship is not completed by ringing the bell in the temple and reciting two or four verses in front of the idol. Your worship is just such that the creature should read itself and purify its thoughts. When the creature will start reading its own feelings and thoughts. He will see a flaw in himself. This is the real worship of God. Anita Garg

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