बिखरकर निखारता है इन्सान

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जब आप के सामने मुसीबत पर मुसीबते आती है। तब स्टारटिगं में आप अपने घर परिवार अपने हमसफ़र से आशा करते हैं कि यह मेरे अपने है मेरी सार सम्भाल वैसे ही करेंगे जैसे मै सबकी करता आया हूँ। लेकिन सब सुख के साथी होते हैं। वह मौन संघर्षों को सहन करता है। पहली स्टेज पर व्यक्ति टुटता है बिखरता है रोता है। एक समय के बाद व्यक्ति संघर्ष से घबराता नही है। संघर्ष में जीवन जीने का आदी हो जाता है। संसारिक संघर्षों भरे जीवन मे खूब बिखरकर निखरते हो तब कितना छान लेते हो स्वयम को क्योंकि बाहरी स्तर पे छानने के बाद जब भीतरी स्तर पे छानने की बारी आती है तब मौन और एकांत पहरेदार होते हैं। मौन आने वाली परिस्थिति से अवगत कराता हैं। एकान्त हमें हर परिस्थिति में स्टरोंग बनाता है। ग्रहस्थ में रहकर संघर्ष करना होता है। आप प्राप्त करते हो जहा आपके सिवाए आपका साथ कोई न देता हो ,यह समय कठिन तभी तक लगता है जब अपने आप को भगवान के समर्पण नहीं करते हैं जब कोई नहीं मिलता तब भगवान साथी बन जाते हैं। भगवान को भजे बैगर भगवान भी साथी नहीं बनते हैं। भगवान को भजते हुए विस्वास की जागृति होती है।  विस्वास से भरे हुए व्यक्ति की परिस्थितियां कुछ बिगाङ नहीं सकती है।

भगवान के साथी बनने पर व्यक्ति कठिन समय में अन्दर से मुस्कराता है। वह असली मुस्कान को जान जाता है जो व्यक्ति विशेष के अन्दर होती है। आप अपने आप से कुछ समय बात करने लग जाओगे अन्तर्मन का तराजू सत्यता का तराजू है। अन्तर्मन कभी किसी में खोट नहीं ढुढता वह आपको परिस्थिति के अनुसार धर्य पुरवक चलना सिखाता है।  संघर्ष व्यक्ति को तोड़कर बनाता है बाहर से ऊपर उठे चाहे न उठे मुसीबते ही व्यक्ति को घङती है। जरूरी नही जितना आप जागे हो उतना अन्य भी जागे हो।अन्य की चिंता से आप अन्तर्मन से उठ गए हो। अन्य की आशाओं से ऊपर उठना ही निखारना है क्योंकि सबकी अपनी अपनी बाहरी और भीतरी अवस्थाएं है।कितना भार लगता है जब परिवार में ज्यादा बोलना पड़े या शारीरिक कार्य की अधिकता हो तब पता चलता है। व्यक्ति जानता है जब तक तु परिश्रम करता है तब तक परिवार वाले अपने है।शरीर तत्व से ऊपर उठना ही ज्ञान है शरीर तत्व से ऊपर उठ कर भी जीवन को जैसे चल रहा है वैसे ही चलने देता है। लेकिन करता सबकुछ है। अन्तर्मन से भिन्न है। उसके अन्तर्मन का आनंद संसार के आनंद से भिन्न है। अन्तर्मन से जगे हुए व्यक्ति को कुछ दिखाने की आवश्यकता नहीं है। क्योंकि वो एक लहर हैं व्यक्ति का नेचर हमारे मन मस्तिष्क पर प्रभाव डालता है। मोदी जी के अन्दर अध्यात्मवाद कुट कुट कर भरा हुआ है। एक अध्यात्मिक अपने लिए नहीं जीता है वह देश और दुनिया के कल्याण के लिए पृथ्वी पर आया है।  यंहा अमुल्य धन अन्तर्मन से पढे हुए अपने विचार हैं सत्यता, निष्कपटता, समर्पित भाव जीवन मुल्य को बनाते हैं जय श्री राम अनीता गर्ग



When trouble comes in front of you. Then in the starting, you hope from your family members that this is my own, I will take care of my life in the same way as I have been doing everyone else. But all are companions of happiness. He endures silent struggles. At the first stage, the person breaks down and cries. After a time, a person is not afraid of conflict. Gets used to living life in conflict. In a life full of worldly struggles, you shine a lot, then how much do you filter yourself because after filtering on the outer level, when it comes to filtering on the inner level, then silence and solitude are the guards. Silence informs about the upcoming situation. Solitude makes us strong in every situation. One has to struggle by staying in a planetary body. You achieve where no one supports you except you, this time seems difficult only when you do not surrender yourself to God, when no one is available, then God becomes a companion. Even if God is sent to God, even God does not become a companion. By worshiping God, faith is awakened. Nothing can spoil the circumstances of a person full of faith.

When one becomes God’s companion, one smiles from within in difficult times. He knows the real smile that lies within a particular person. You will start talking to yourself for some time, the scales of the conscience are the scales of truth. Conscience never finds fault in anyone, it teaches you to walk patiently according to the situation. Struggle makes a person break and rises from outside, even if troubles do not arise, only troubles hit the person. It is not necessary that you have woken up as much as others. You have woken up from your inner self by worrying about others. To rise above the expectations of others is to refine because everyone has their own external and internal conditions. A person knows that as long as you work hard, your family members are yours. To rise above the body element is the knowledge, even after rising above the body element allows life to go on as it is. But does everything. different from intuition. The joy of his inner being is different from the joy of the world. There is no need to show anything to a person who is awakened from within. Because they are a wave, the nature of a person affects our mind. Spiritualism inside Modi ji is full of bits and pieces. A spiritual person does not live for himself, he has come to earth for the welfare of the country and the world. Here the invaluable wealth is your thoughts read from the heart, truthfulness, sincerity, dedicated spirit make life worth Jai Shri Ram Anita Garg

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