बुद्ध ब्राह्मण मुक्त है

जो चंद्रमा की तरह विमल, शुद्ध, स्वच्छ और निर्मल है तथा जिसकी सभी जन्मों की तृष्णा नष्ट हो गई, वही बाह्मण है। जिसकी वासना भस्मीभूत हो गई है, वह बाह्मण हो गया।

जो मानुषी बंधनों को छोड़, दिव्य बंधनों को भी छोड़ चुका है, वह है बाह्मण। उसने मनुष्य से ही बंधन नहीं छोड़ दिए है, उसने दिव्यता से भी बंधन छोड़ दिए हैं। सभी बंधनों से जो मुक्त है, वही बाह्मण है।

जहां जन्म-मरण शांत हो जाते हैं। जिसने स्वर्ग-नर्क का सब रहस्य जान लिया, पूर्व जन्म क्षीण हो गया है। अब वह दुबारा नहीं आएगा। वह अनागामी हो गया। जिसकी प्रज्ञा पूर्ण हो चुकी है, वही बाह्मण है।

बुद्ध ने ब्राह्मण को जैसी ऊंचाई दी, वैसी किसी ने कभी नही दी थी। ब्राह्मणों ने भी नहीं। ब्राह्मण ने तो ब्राह्मण शब्द को बहुत क्षुद्र बना दिया, उसे जन्म से जोड़ दिया। बुद्ध ने आत्म-अनुभव से जोड़ा। बुद्ध ने निर्वाण से जोड़ा।

वह जो मुक्त है, वह जो शून्य है, वह जो खो गया है बूंद की तरह और सागर हो गया है, वही ब्राह्मण है- ऐसा बुद्ध ने कहा।

यह ध्यान रखने की बात है कि, सभी लोग शूद्र की तरह पैदा होते हैं और दुर्भाग्य से अधिक लोग शूद्र की तरह ही मरते हैं। ब्राह्मण की तरह कोई पैदा नहीं होता। क्योंकि ब्राह्मणत्व उपलब्ध करना होता है। ब्राह्मणत्व आर्जन करना होता है। ब्राह्मणत्व साधना का फल है। श्री परमात्मने नम



The one who is as bright, pure, clean and pure as the moon and whose cravings for all births have been destroyed is a Brahmin. One whose lust has been reduced to ashes has become a Brahmin.

The one who has left human bonds and has also left divine bonds is a Brahmin. He has not only given up his bonds with man, he has also given up his bonds with divinity. The one who is free from all bondages is a Brahmin.

Where birth and death become silent. One who has learned all the secrets of heaven and hell, his previous birth has diminished. Now he will not come again. He became anagami. The one whose wisdom is complete is a Brahmin.

No one had ever given such height to the Brahmin as Buddha did. Not even the Brahmins. Brahmin has made the word Brahmin very trivial and linked it to birth. Buddha linked it to self-experience. Buddha associated it with nirvana.

He who is free, he who is void, he who is lost like a drop and has become the ocean, he is Brahmin – this is what Buddha said.

It is worth keeping in mind that, all people are born like Shudras and unfortunately most of the people die like Shudras. No one is born like a Brahmin. Because Brahminism has to be achieved. Brahminism has to be earned. Brahmanism is the result of spiritual practice. Shree Paramatmane Namah

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