बहुत देखा। खूब देखा। जितना देख सकती थी उतना मैंने बांके बिहारी को देखा। पर तू ही बता ऐ सखी इन दो आंखों से उन्हें कितना देखा जा सकता था।
भक्त के हृदय में दर्शन की प्यास जग जाती है तब भक्त रूप में खो जाना चाहता है। रूप को एक टक घंटों देखता है भक्त रूप में परम तत्व परमात्मा की खोज करना चाहता है दर्शन की पुकार लगाता है भक्त के हदय की पुकार होती है कैसे परम प्रभु से साक्षात्कार हो कैसे पुरण में पुरण समा जाये जब हदय में पुकार उठती तब वह कुछ भी देखना नहीं चाहती है ह्दय कैसे भरे यह संसार के सुख भक्त को भाते नहीं दिल तो एक ही था प्रभु चरणों में समर्पित हो गया दुसरा दिल कंहा से लाऊँ न
प्रभु प्राण नाथ को देखने के लिए हृदय की आंख चाहिए हृदय में प्रभु बैठ जायेंगे तब हम बिहारी जी को बन्द आंखो से निहार लेगे।
आंखें बन्द कर के देखो पुरे अन्दर समाये हुए दिखाई देंगे आंखों में भगवान समा जाते हैं तब हर जगह प्रभु ही दिखाई देते हैं भक्त भगवान को बहुत गहरा सा निहारता है फिर निहारता हैं निहारते एक दिन भगवान को आखों में बसा लेता है। भक्त को चारों ओर भगवान नजर आते हैं भक्त फिर भी तृप्त नहीं होता है भक्त को भगवान की पल भर की दुरी सहन नहीं होती। दिल की धड़कन थम जाती है प्रभु भगवान दिखाई क्यों नहीं दे रहे एक पल में नैन नीर बहाते है खाना पीना छोड़ देता है। बहुत नाम जप करता है दिल बार बार कहता है क्या प्रभु से कभी साक्षात्कार होगा। कभी आनंद मे प्रभु के ध्यान में नाचता कुदता है। दीपक की लो मे प्रभु से बात कर लेता है। कभी कुछ भी नहीं करता है ध्यान में है प्रभु के भाव मे है प्रभु को खोज भी रहा है प्रभु आनंद मे ढुबना नहीं चाहता है मौन हो जाता है। ऐसे में भगवान भक्त के अन्दर समा जाते हैं।भक्त भगवान को ह्दय मे बिठा लेता है हदय में बिठा कर बाहर आना ही नहीं चाहता।
जय श्री राम अनीता गर्ग
Saw a lot. Saw a lot. I saw as much of Banke Bihari as I could. But you tell me, my friend, how much of them could have been seen with these two eyes.
The thirst for darshan awakens in the heart of the devotee and then the devotee wants to get lost in the form. The devotee gazes at the form for hours. The devotee wants to discover the supreme essence of God. He cries out for darshan. The devotee’s heart cries out, how to have an encounter with the Supreme Lord, how to merge the Puran into the Puran. When the call arises in the heart, then that is something. I don’t even want to see how to fill my heart. The devotee does not like the pleasures of this world. There was only one heart and it was surrendered at the feet of the Lord. Where should I get another heart from?
To see Lord Pran Nath, we need the eyes of the heart. When God will sit in the heart, then we will be able to look at Bihari ji with closed eyes.
Close your eyes and look, you will be seen completely absorbed inside. God gets absorbed in the eyes, then only God is visible everywhere. The devotee looks at God very deeply and then keeps looking and while looking, one day God resides in his eyes. The devotee sees God all around, the devotee is still not satisfied, the devotee cannot bear the distance of God even for a moment. The heartbeat stops, why is God not visible, in a moment the eyes start crying and one stops eating and drinking. Chanting the name a lot, the heart asks again and again whether I will ever meet God. Sometimes he jumps and dances in joy in meditation of God. He talks to God in the light of the lamp. He never does anything, he is in meditation, he is in the feeling of God, he is also searching for God, he does not want to get lost in the joy of God, he becomes silent. In such a situation, God merges inside the devotee. The devotee makes God sit in his heart and does not want to come out.
Jai Shri Ram Anita Garg