जिसने दिल ही दिल में प्रभु प्राण नाथ से बात की है। अपने अन्तर्मन में लग्न का दिपक प्रज्वलित किया है। जो परमात्मा के नाम के साथ सोया है और परमात्मा के नाम के साथ जगा है। जिसने परमात्मा को दिल में बिठा लिया है। चाहे वह घर में हो सन्यासी हो किसी भी धर्म को अपनाया हो वह अवश्य ही अनहद नाद में झुमेगा।
हम कई बार कहते हैं कि घर में दुःख है दुख घर मे होता ही नहीं मन में दुख होता है। मन का दुख छोड़े बैगर कहीं भी चले जाओ दुःख भी साथ ही चलेगा। संसार में जो दुख दिखाई देता है। अध्यात्म में वह दुख आनंद की सीढ़ी है एक अध्यात्मिक उपर से दुखी दिखाई देते हुए भी अन्तर्मन से खुश होता है। इसे ही एक समय में सुख और दुख के आंसू कहा गया है।
हमे मन भगवान के रंग में रंगना भगवान् दिल में विराजते हैं। बाहर कहा खोजोगे। जिस के दिल में सत्संग समा जाता है।
लिए हर जगह मंदिर हैं। जय श्री राम
अनीता गर्ग
One who has spoken to Prabhu Pran Nath in his heart. The lamp of marriage has been ignited in your heart. One who has slept with God’s name and awakened with God’s name. One who has placed God in his heart. Whether he is a sannyasi at home or has adopted any religion, he will surely whisper in the unhinged sound. We say many times that there is sorrow in the house, sorrow does not happen in the house, but there is sorrow in the mind. Leave the sorrow of the mind, but go anywhere, sorrow will also go along with it. The misery that is seen in the world. In spirituality, that sorrow is the ladder of happiness, even though a spiritual person appears unhappy from above, he is happy with the inner self. This is what has been called tears of happiness and sadness at the same time.
Painting our mind in the color of God, God resides in the heart. Where will you find outside? In whose heart satsang is absorbed.
There are temples everywhere. Long live Rama