मालिक की धरोहर

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मैं तो हूं ही नहीं मेरा कोई नाम भी नहीं है। न ही मेरी पहचान है। मै जो दिखाई देता हूं, उस का मालिक कोई ओर है। उस मालिक को मैंने पुरण रुप से देखा भी नहीं है। वह कैसा है देख लूँ तभी बता सकती हुं। उस मालिक के पास ही मेरी पहचान छुपी हुई है। मै रात दिन उस प्रभु प्राण नाथ से प्रार्थना करती हूं कि हे स्वामी ये तेरी धरोहर है। तु कब अपनी धरोहर को लेने आएगा। मैंने तेरी धरोहर में से बहुत सा खजाना युज कर लिया है। कुछ ही शेष है इसे तु ले जाएंगा तब मै की मै मिट जाएगी तु ही तु होगा। प्रभु प्राण नाथ’कोई कितना तेरे नाम को ले जब तक तुम्हारी कृपा दृष्टि नहीं होती तब तक हर कोई ठूंठ का ठूंठ ही है।  हमे आत्मा के साथ परब्रह्म परमेश्वर का चिन्तन करना है। एक ज्योति सब में व्यापक है ।वह रुप के होते हुए भी निर्गुण निराकार है ।जय श्री राम
अनीता गर्ग



Not only me, I don’t even have a name. Neither do I have an identity. What I see is owned by someone else. I have not even seen that owner completely. Let me see how she is, then I can tell. My identity is hidden with that owner. I pray day and night to that Prabhu Pran Nath that, O lord, this is your heritage. When will you come to collect your heritage? I have used up a lot of treasure from your heritage. There is only a few left, you will take it, then I will be erased, you will be you. Prabhu Pran Nath ‘How much someone should take your name, until your grace is not visible, then everyone is a stubble of a stubble. We have to think of the Supreme Lord with the soul. One light is pervasive in all. He is formless in spite of being formless. Jai Shri Ram Anita Garg

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