नया क्या है यह कथन पठन पाठन सब थोथा है मन के बहलाव, कहो तो मन को अटकाने का साधन है शिवरात्रि आती है तभी होली आती है। होली के कुछ दिन नवरात्रि आते हैं फिर कभी सावन रक्षा बन्धन तो कभी फिर नवरात्रि आ जाती है दिपावली की धुम मची है चारो ओर यह सब वर्षो से चला आ रहा है। हम सब पुराने पर मन बहलाते है।
यह सब मन को लुभाने के साधन है। भौतिक खुशी है हम यह करते मृत्यु को प्राप्त हो जाते हैं। यह खुशी और आनंद सच्चा नहीं है। हम इन सबके चक्कर मे पड गए हैं। हम कुछ नया जीवन में करना नहीं चाहते हैं। हमे अकुछ नया नहीं है उमंग दिलो में बनती है चरम सीमा पर न पहुंच पाती है क्योंकि हम पुराने किये हुए को दोहरा रहे हैं यह हमारी खेती नहीं है हमारा जीवन बीत जाता है अन्दर झांक कर देखते नहीं है मन बहलाव को भक्ति का नाम देते हैं। सभी इस दोङ में दोङ रहे हैं की अपने आप को बहुत बङा भक्त मान बैठे हैं झझोरता कोई नहीं मेरे भीतर ज्ञान भरा हुआ है उसकी खोज कोई नहीं करता है। मन को हदय को हम कोरा ही ले जायेगे। सागर मन्थन किस जन्म में करोगे मन्थन के बैगर सबकुछ अधुरा है। अ राही तु बकरी की तरह मेरा मेरा करते हुए कितने जन्म तुने बिताय है उठ जाग यह घर तेरा नहीं है। अपने भीतर के द्वार खटका व्रत और त्योहार खुशी प्रदान करते हैं। खुशी किसकी मन की मन को हटा कर देखो आत्म चिन्तन करके देखो भीतर प्रेम का सागर है शान्ति के झरने है। कोई यह नहीं कहता है हम भीतरी आनंद चिन्तन में है सभी खुशी की चादर ओढकर खुश हैं भीतर न जाने गमो के ढेर लगे हो। सत्य बोलना नही चाहते हैं। जय श्री राम अनीता गर्ग
What is new is this statement: Reading and reading are all mere distractions of the mind, if you say they are a means to distract the mind, Shivratri comes only then Holi comes. Some days after Holi, Navratri comes, sometimes Sawan Raksha Bandhan and sometimes Navratri comes again. There is a lot of fanfare about Diwali all around, this has been going on for years. We all reminisce about the old.
All these are means to entice the mind. There is material happiness, we die doing this. This happiness and joy is not true. We have fallen into the trap of all this. We do not want to do anything new in life. We have nothing new. The excitement builds in our hearts but does not reach its peak because we are repeating what we have done in the past. This is not our farming. Our life passes by without looking within. We give the name of devotion to entertainment. . Everyone is running in this race of considering themselves to be a great devotee, no one bothers me, I am filled with knowledge and no one searches for it. We will take our mind and heart to Kora. In which birth will you churn the ocean? Everything is incomplete without churning. O traveler, how many lives have you spent like a goat, doing mine and mine, wake up, this house is not yours. Opening your inner doors, fasting and festivals provide happiness. Whose happiness is it? Remove the mind from the mind and introspect and look within. There is an ocean of love and springs of peace. No one says that we are in inner bliss and contemplation, everyone is happy wrapped in the blanket of happiness, I don’t know whether there are heaps of sorrows inside. Don’t want to tell the truth. Jai Shri Ram Anita Garg