परम भगवान श्री कृष्ण.. वो परम आत्मा_ जो श्री, लक्ष्मी को धारण करता है अर्थात प्रकृति_ तत्व से एकात्म होता हुआ वो महान आकर्षण से भरा है।
उसके आकर्षण से संसार आकर्षित है
वो अमोघ आकर्षण है के ब्रह्मांड स्थिर हैऔर धरती नियत समय अपने अक्ष पे घूर्णन कर रही,,है
वो परम् पिता__ असीम ऊर्जा जिसके, औरा,से
उत्पन्न होते रहते, हैं,
जो,अपने गुरुत्त्व, बल से शुद्ध आत्माओं,को अपनी, ओर, खींचने के कोशिश में रहता है, वो परम आनंद का आकर्षण है
जो किसी भी वस्तु को नहीं वरण निश्छल मन को अपने ओर खींचता है।
फिर अपने ही अपरम आनंद में सदा के लिए
शांति प्रदान कर देता है।
जब हमारा अंतः करण पूरी तरह से शुद्ध हो जात है तो वो दिव्य आकर्षण शक्ति उत्पन्न हो जाती है,, वह कृष्ण मय हो जाता है आकर्षण ही कृष्णा है, आत्मा में आकर्षण शक्ति बहुत ज्यादा होती है,, प्रियमित्रो उस आकर्षण शक्ति से संसार के किसी भी तत्व को अपनी ओर आकर्षित किया जा सकता है,, या किसी के भी आत्मा में इच्छा अनुसार जो चाहे उसे जागृत किया जा सकता है….
आकर्षण का मतलब होता है चुंबकीय शक्ति चुंबक तो सिर्फ अपनी तरफ ही आकर्षित करता है, लेकिन आत्मा की जो आकर्षण शक्ति है वह अपनी तरफ तो आकर्षित करती ही है परंतु जहां चाहे अपने अंतःकरण से किसी के भी अंतरकरण में जो चाहे प्रकट कर सकती है…
अर्थात यह परम् आत्मिक बल भी पैदा करता है
आत्मा के आकर्षण शक्ति की व्याख्या कर पाना बड़े बड़े पुरोधा के बस की बात नहीं मुझे,, जैसे एहसास हुआ मैने व्यक्त कर दिया,,,क्योंकि सारा ब्रह्मांड आकर्षण शक्ति के द्वारा ही उत्पन्न हुआ है,, यह परमात्मा श्री कृष्ण का आकर्षण शक्ति ही है जो पूरे ब्रह्मांड को धारण करके रखती है,,
हरि ॐ श्री कृष्ण आकर्षण से आकर्षित मुग्ध रहो,
आनंदित रहो,, प्रिय मित्रों
जय जय सियाराम जी
मधुर नमन वंदन अभिनंदन सादर प्रणाम एवम कोटि कोटि साधुवाद जी
आपका हर पल हर क्षण हर दिन सुखद व मधुर हो आनंदमय व मंगलमय हो
हरे कृष्णा
जय जय सियाराम जी
Supreme Lord Shri Krishna… That supreme soul that embodies Shri Lakshmi i.e. being united with the element of nature, is full of great attraction. The world is attracted by his charm The infallible attraction is that the universe is stable and the Earth is rotating on its axis at regular intervals.
That Supreme Father__ whose infinite energy, aura, keep on arising, The one who tries to pull pure souls towards himself with his gravity and power, is the attraction of supreme bliss. Which does not attract any object but the innocent mind. Then forever in my own bliss Provides peace.
When our conscience becomes completely pure then that divine power of attraction is generated, it becomes like Krishna, attraction is Krishna itself, there is a lot of power of attraction in the soul, dear friends, with that power of attraction we can attract anyone in the world. The element can be attracted towards itself, or can be awakened in one’s soul as per one’s desire….
Attraction means magnetic power, the magnet attracts only towards itself, but the attraction power of the soul not only attracts towards itself but it can manifest whatever it wants in anyone’s inner being through its conscience wherever it wants. That is, it also produces supreme spiritual strength.
It is not within the power of great scholars to explain the power of attraction of the soul, as I felt it, I expressed it, because the whole universe has come into existence only through the power of attraction, it is the power of attraction of Supreme God Shri Krishna which is responsible for the entire universe. holds the universe,
Hari Om, remain fascinated by the charm of Shri Krishna,
Rejoice, dear friends
Jai Jai Siyaram ji
Sweet greetings, greetings, regards and many thanks to you.
May every moment of yours, every moment of every day, be pleasant and sweet, may it be joyful and auspicious.
Hare Krishna
Jai Jai Siyaram ji