समय और लगन दो ऐसे गुरु है जो भी समय और लगन को मुट्ठी में बांध कर चलता है। लक्ष्य उसके सामने हाथ जोड़ देता है। हम कभी यह नहीं सोचते हैं कि भगवान ने मुझे सोचने समझने के लिए कर्म और मेहनत के लिए सब कुछ दिया है ।
मुझे निचोड़ अपनी लगन से निकालना है।हमे लक्ष्य को पुरण करने के लिए हर क्षण तैयार सतर्क रहना है। हमे यह भी नहीं करना चाहिए कि लक्ष्य के पीछे जीवन को भुल जाए जीवन की प्रत्येक जिम्मेदारी निभाते हुए आगे कदम बढ़ाने है।
हम कई बार देखते हैं कि कई व्यक्ति एक पहलू को पकड़तेहै और अन्य सबको छोड़ देते हैं। जिससे वह जीवन में सन्तुलन नहीं बना पाते हैं। लक्ष्य वही पुरण कर सकता है। जो जीवन के हर पहलू का निरीक्षण करके आगे कदम बढ़ाता है।
भगवान को ध्याने के लिए हमे कुछ भी छोड़ कर नही ध्याना है। हमे अर्जुन की तरह से भगवान को ध्याना है।
अर्जुन ने युद्ध के समय युद्ध किया प्रतिदन के कार्य करते हुए भगवान को धयाया है। भगवान कहते हैं कि अर्जुन तु मेरा सिमरण कर और युद्ध भी कर अर्जुन ने भगवान को हृदय में बिठाकर अन्तर्मन से भगवान से लो लगाकर युद्ध किया है। अर्जुन जब भगवान मे ढुब जाते हैं तब भगवान कृष्ण ही अर्जुन में प्रकट होकर युद्ध करते हैं।
युद्ध के समय अर्जुन अन्तर्मन से भगवान मे खोए है। तब भगवान जोर जोर से अर्जुन का प्रोत्साहन करते हैं। भगवान बार बार अर्जुन को जगाते है।अर्जुन फिर गांडीव सम्भाल कर चलाते हैं।
भगवान कहते हैं कि अ प्राणी तु हर तरह से जिम्मेदारी निभाते हुए मुझे भजेगा तब पार पा सकता है। यह जीवन अध्यात्मवाद से परिपूर्ण है खोज तुझे करनी है।
परमात्मा कण-कण में विराजमान है। उस परमात्मा की खोज के लिए मन मन्दिर को सजाना है।
मां बच्चे को एक वर्ष गोद में रखती है। एक वर्ष के बाद बच्चा धीरे-धीरे सब सिख जाता है। बच्चे ने अपनी लगन चलने में लगा दी है। हम क्या करते हैं।सोचते हैं सब कुछ हमे गुरु सिखाएगा। गुरु प्रथम चरण है। पाठ हमे अपनी लगन से पढना है। जितनी हम समय की गहरी डुबकी लगाएंगे उतने ही मोती चुनकर ले आएगे।जय श्री राम अनीता गर्ग