परमात्मा के नाम जप को बढाए। परमात्मा के नाम की इच्छा जागृत होने पर भगवान अपने अन्तर्मन मे भाव और आनंद की वर्षा करते हैं
परमात्मा जिसका हाथ थाम लेते हैं। उसको कभी रोने नहीं देते। परमात्मा का नाम लेते हुए हमारी इच्छाएं बदल जाए। हे भगवान् तु मुझे जैसा समय दिखाओगे मै तेरी रजा मे रजामन्द हूं। रोना असली आनंद है।प्राणी इस आनंद में पहुँचता है तब ये आंसु मोती बन जाते हैं।
कई बार भक्त को ऐसा लगता है आज घर में बहुत काम है मै मेरे भगवान को दिनभर दिल से कैसे भगवान का बनु। तब भक्त कार्य करते हुए अपने हाथ की अनामिका या किसी भी अन्य उंगली को राम नाम भजने में लगा देता है । एक ऊंगली राम नाम भजती रहती और आप घर के कामों को पवित्र मन से करते हुए भगवान को प्रणाम करता है ।भगवान को भजते हुए भक्त अपने मन से पुछता हैं कि मै यह कार्य भलीभांति कर रही हूं क्या।
कोई एक भगवान् के लिए रोता है। प्रभु प्राण नाथ ये शरीर नहीं ये तुम्हारी बनायी पृकृति हैं। मै तो तुम से पैदा हुआ हूं। और मैं तुम मे ही समा जाऊगी। मेरा अलग से कुछ भी नहीं। ये बाहरी चक्षु मेरा मेरी करते हैं। अन्तर्मन के चक्षु संसार से सम्बन्ध बनाना नहीं चाहते। अन्तर्मन के चक्षु से प्राणी हर स्वांस से अपने प्रियतम भगवान् नाथ का चिन्तन और वन्दन करना चाहता है।
भक्त कहता है भगवान जी मै आप को जानना चाहता हूं। मुझे दिन भर आपकी सेवा में लगाए रखो। भगवान् जी आपके आगमन पर मेरा कोई भी कार्य मेरा नहीं है। शरीर जनीत क्रिया कर्म भी मेरे नहीं है।मै भी मै नहीं हूं। ये मुझे मेरे स्वामी भगवान् नाथ दिखाई दे रहे हैं।
आज सच्चे साधु साधक बनना नहीं चाहते हैं।भगवा वस्त्र से पैर पुजवाने से सच्चा साधु साधक नहीं बनते। जब तक अन्दर त्याग भाव नहीं बनता। परम पिता परमात्मा जी के लिए दिल में तङफ नहीं जगती। सांस सांस से परम सत्य के स्वरूप परमेशवर स्वामी भगवान् नाथ की पुकार नहीं लगती तब तक कोई पार नहीं पा सकता। हे मेरे स्वामी भगवान् मै तुम्हे निहारना चाहता हूं। तुम कहां चले गए। तुम मेरे प्राण धन हो। हे प्रिय मै तुम्हे दिल में बिठालु।
आनंद और शान्ति प्रभु प्राण नाथ प्यारे की कृपा पर आती है। भक्त के सच्चे मन की पुकार जब लगती है। भगवान् कृपा कर आनंद प्रदान करते हैं। पल पल में प्रभु की याद में दिल आन्नद से भर जाती है नैन नीर बहाते हैं। जय श्री राम अनीता गर्ग
Increase the chanting of God’s name. When the desire for the name of God is awakened, the Lord showers emotion and joy in his soul. Whose hand the divine takes hold. Never let him cry. Taking the name of God, our desires should change. Oh my God, I am happy in your favor as you show me the time. Crying is real bliss. When the animal reaches this bliss then these tears become pearls. Many times the devotee feels like this, today there is a lot of work in the house, how can I become my God with my heart throughout the day. Then the devotee while working, puts the ring finger or any other finger of his hand in chanting the name of Ram. One finger keeps on chanting the name of Ram and you salute the Lord while doing household chores with a pure heart. While worshiping the Lord, the devotee asks from his mind whether I am doing this work well. Some one cries for God. Lord Pran Nath this is not the body, it is your made nature. I am born from you. And I will fit in you. I am nothing apart. These external eyes do mine. The eyes of the conscience do not want to have a relationship with the world. With the eye of the inner being, the living being wants to contemplate and worship his beloved Lord Nath with every breath. The devotee says, Lord, I want to know you. Keep me at your service all day long. Lord, none of my work is mine on your arrival. The body-made actions are also not mine. I am also not me. This is visible to me my lord Bhagwan Nath. Today, true sadhus do not want to become a seeker. Worshiping feet with saffron clothes does not make a true sadhu a seeker. As long as there is no renunciation inside. For the Supreme Father, the Supreme Soul, the heart does not wake up. No one can overcome until the call of Parameshwara Swami Bhagwan Nath, who is the embodiment of the Supreme Truth, is not heard with his breath. Oh my lord God, I want to behold you. where did you go You are my life wealth. Oh dear, I will put you in my heart. Bliss and peace comes at the grace of Prabhu Pran Nath Pyare. When the call of the true heart of the devotee is heard. God bless you and give you happiness. In the moment of remembrance of the Lord, the heart fills with joy. Jai Shri Ram Anita Garg