राधे राधे जपते हुए गाते हुए नैनो से नीर बहाती थी सखियां। खुशी और तङफ में बहुत फर्क है तङफ में प्रियतम से लो लगा कर नैन नीर बहाते है तब प्रियतम भगवान कृष्ण, भगवान राम ही सबकुछ होते हैं। भगवान मे दिल रम जाता है तब भक्त की हर खुशी भगवान से होती है। भक्त के भगवान साजन सखा बन जाते हैं सब कुछ करते हुए भक्त अपने प्रियतम स्वामी भगवान् नाथ मे रमण कर रहा होता है आज हम अपने मन और दिल को टटोल कर देखते रहे क्या दिल में तङफ है क्या खुशी की और हमारे कदम चल पङे है। खुशी बहुत मीठी होती है पर प्रियतम के सम्बंध का यह रोङा साबित होती है। खुशी में मान बङाई होती है। शब्दों की चासनी में मत पङ जाना अ राही। ये राधे रानी के पास आने मे भटकाव पैदा करेंगे। हृदय में जितना प्रेम है वह प्रभु का दिया प्रभु को समर्पित है। संसार में बांटने के लिए दुसरा प्रेम कहां से लाऊं। प्रभु तुम हमारे स्वामी तुम प्राण प्राण प्यारे तङफ में दिल का दिल से सम्बन्ध होता है जब दिल का दिल से सम्बंध बनता है तभी ईश्वर में लीन होते हैं। जय श्री राम अनीता गर्ग
Friends used to shed tears while singing while chanting Radhe Radhe. There is a lot of difference between happiness and pain. In pain, one’s eyes shed tears after hugging the beloved, then the beloved Lord Krishna and Lord Ram are everything. When the heart is absorbed in God, then every happiness of the devotee comes from God. The devotee’s God becomes his companion and while doing everything, the devotee is rejoicing in his beloved Lord Lord Nath. Today let us examine our mind and heart and see whether there is sorrow in the heart or happiness and where our steps have started. Happiness is very sweet but it proves to be a hindrance in the relationship with the beloved. There is pride in happiness. Don’t get lost in the syrup of words oh dear. These will create distractions in coming to Radhe Rani. The amount of love in the heart is dedicated to God, given by God. Where can I get another love to share in the world? Lord, you are our master, you are my life and my beloved. In pain, there is a connection between the heart and the heart. Only when there is a connection between the heart and the heart, only then we are absorbed in God. Jai Shri Ram Anita Garg