परमात्मा की प्रार्थना से बढ़कर जीवन में कोई काम हो नहीं सकता है। प्रार्थना के लिए धुप दीप से पुजा करना ये प्रथम सैटप है भगवान की भक्ति के लिए ह्दय के भाव और प्रेम की जरूरत है ।
प्रार्थना हम किसी भी समय कहीं भी कर सकते हैं।प्रार्थना दो प्रकार की है एक प्रार्थना हम जो प्रतिदिन करते हैं। दुसरी हमारे हृदय की गहराई में उठते भाव प्रार्थना करते हैं।भगवान को दो तीन घंटे से भज रहे भगवान की विनती स्तुति करते हैं तब हमारे हृदय में समर्पित भाव बन जाते हैं बार बार शिश झुकाते है नमन करते हैं बस मेरा भगवान ही सबकुछ है मै कैसे भगवान का बन जाऊ तब भगवान से अन्तर्मन से अनेक प्रार्थनाएं प्रकट होने लगती है। ऐसे भक्त भगवान की विनती स्तुति करते हुए यह नही जानता है कि अन्तर्मन मे भाव की कितनी गहराई प्रकट हो रही है । हर क्षण भगवान को नमन और वन्दन करतें हैं। ऐसे में भक्त भगवान से कुछ भी नहीं चाहता है भगवान के समर्पित है भक्त के हृदय में प्रेम प्रकट हो जाता भगवान के भाव में दिल की दशा को शब्द नही दे सकता हूँ। जय श्री राम
अनीता गर्ग
We can pray any time anywhere. There are two types of prayer, one is the prayer we do every day. Others pray in the depths of our hearts. When we pray to God for two to three hours, then we become devoted expressions in our hearts, bowing our heads again and again, we bow down, only my God is everything. How do I become of God, then many prayers start appearing from the inner self to God. Such a devotee, while praising the Lord’s request, does not know how much depth of emotion is manifesting in the inner self. Every moment we bow and bow to the Lord. In such a situation, the devotee does not want anything from God, is devoted to God, love appears in the heart of the devotee, I cannot give words to the condition of the heart in the sense of God. Long live Rama
Anita Garg