क्या देवता भोग ग्रहण करते है

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हिन्दू धर्म में भगवान् को भोग लगाने का विधान है …

क्या सच में देवतागण भोग ग्रहण करते ?

हां , ये सच है ..शास्त्र में इसका प्रमाण भी है ..

गीता में भगवान् कहते है …” जो भक्त मेरे लिए प्रेम से
पत्र, पुष्प, फल, जल आदि अर्पण करता है , उस शुध्द
बुध्दी निष्काम प्रेमी भक्त का प्रेम पूर्वक अर्पण
किया हुआ , वह पत्र पुष्प आदि मैं ग्रहण करता हूँ ..

.गीता ९/२६

अब वे खाते कैसे है , ये समझना जरुरी है

हम जो भी भोजन ग्रहण करते है , वे चीजे पांच तत्वों से
बनी हुई होती है ….

क्योकि हमारा शरीर भी पांच
तत्वों से बना होता है ..

इसलिए अन्न, जल, वायु,
प्रकाश और आकाश ..तत्व की हमें जरुरत होती है ,

जो हम अन्न और जल आदि के द्वारा प्राप्त करते है …

देवता का शरीर पांच तत्वों से नहीं बना होता ,
उनमे
पृथ्वी और जल तत्व नहीं होता …

मध्यम स्तर के देवताओ
का शरीर तीन तत्वों से तथा उत्तम स्तर के
देवता का शरीर दो तत्व –तेज और आकाश से बना हुआ
होता है …

इसलिए देव शरीर वायुमय और तेजोमय होते
है …

यह देवता वायु के रूप में गंध,
तेज के रूप में प्रकाश को ग्रहण
और
आकाश के रूप में शब्द को ग्रहण करते है …

यानी देवता गंध, प्रकाश और शब्द के द्वारा भोग ग्रहण
करते है .
.जिसका विधान पूजा पध्दति में होता है …

जैसे जो हम अन्न का भोग लगाते है ,
देवता उस अन्न
की सुगंध को ग्रहण करते है ,,,
उसी से
तृप्ति हो जाती है ..
जो पुष्प और धुप लगाते है ,
उसकी सुगंध को भी देवता भोग के रूप में ग्रहण करते है …
जो हम दीपक जलाते है , उससे देवता प्रकाश तत्व
को ग्रहण करते है ,,,
आरती का विधान भी उसी के लिए
है ..

जो हम मन्त्र पाठ करते है ,
या जो शंख बजाते है या घंटी घड़ियाल बजाते है , उसे देवता गण ”आकाश ” तत्व के रूप में ग्रहण करते है …

यानी पूजा में हम जो भी विधान करते है ,
उससे देवता वायु,तेज और आकाश तत्व के रूप में ” भोग ” ग्रहण
करते है ……

जिस प्रकृति का देवता हो , उस प्रकृति का भोग लगाने का विधान है . !!!

इस तरह हिन्दू धर्म की पूजा पध्दति पूर्ण ”वैज्ञानिक ” है !!!


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In Hinduism, there is a law to offer Bhog to God.

Do the gods really take pleasure?

Yes, it is true.. there is also proof of this in the scriptures..

The Lord says in the Gita…” The devotee who loves Me Offers leaves, flowers, fruits, water etc., that pure Lovely offering of intellect to a selfless loving devotee Done, I accept that letter, flower etc..

.Gita 9/26

Now it is important to understand how they eat

Whatever food we consume, those things are made of five elements. Remains….

Because our body is also five Made up of elements..

Therefore food, water, air, We need light and sky..element,

Which we get through food and water etc.

The body of a deity is not made up of five elements, in them There is no earth and water element.

medium level gods The body of the three elements and of the best level The body of the deity is made up of two elements – light and sky It happens …

Therefore the deity’s body would have been airy and radiant. Is …

This deity smells in the form of air, light up as bright And Take the word in the form of sky…

That is, the deity receives enjoyment by smell, light and sound. does. .Whose legislation is done in the system of worship…

Like what we enjoy of food, god that food inhale the fragrance of from that Satisfaction happens.. One who plants flowers and incense, Its fragrance is also accepted by the deities in the form of enjoyment. By which we light the lamp, the deity light element accepts, The law of aarti is also for the same Is ..

which we recite, Or the one who blows the conch shell or rings the bell, it is accepted by the gods as the element “Akasha”.

That is, whatever legislation we make in worship, From him, the gods assume “bhog” in the form of air, radiance and sky element. does……

The nature of which there is a deity, there is a law to enjoy that nature. ,

In this way the worship system of Hindu religion is completely “scientific” !!!

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