कल सुबह मैं होली की खरीदारी करने मार्केट जा रहा था।
ठाकुर जी (बाल रुप) मुझसे कहने लगे :- बाबा मैं भी तेरे संग बाजार चलूँगा।
मैं :- नहीं लाला त्योहार का समय हैं।बाजार में बहुत भीड़ होगीं।तुम कहीं खो जाओगे।
ठाकुर जी :- नहीं खोऊँगा बाबा।तेरे संग-संग रहूगो।तेरे बिना मेरा घर पर मन नाए लगे।मोहे भी ले चल।
मैंने ठाकुर जी के वस्त्र बदले,सिंगार आदि किया।और अपने संग ले लिए।
बाजार में मैं एक पंसारी की दुकान से कुछ सामान ले रहा था।और उसकी दुकान के बाहर एक बुढ़ी मईया चार पाई पर पिचकारी बेच रही थी।
ठाकुर जी उसकी पिचकारियाँ देख रहे थे।उस बुढिया ने एक पिचकारी ठाकुर जी के हाथ में दे दी।मैं दुकान के अंदर खड़ा सब देख रहा था।
जब मैं दुकान से बाहर आया तो ठाकुर जी मेरा कुर्ता पकड़ कर बोले :- बाबा मोहे ये पिचकारी दिवा दे।
मैंने कही :- अभी नहीं अभी होली को बहुत दिन हैं।होली तक तो तुम इसे तोड़ दोगें।
ठाकुर जी :- नहीं तोडूंगा बाबा बहुत संभाल कर रखुँगा।
उधर वो बुढ़िया बोली :- दिलवा दे बाबा।औरों को १५० ₹ की बेचूँ।तेरे लाला के लिए ५० ₹ की लगा दुंगी।
मैंने ना में सिर हिला और साथ में खड़े फल वाले की रेहड़ी पर फल लेने लगा।
ठाकुर जी फिर उस पिचकारी वाली की दुकान पर जाकर खड़े हो गए।अब तक ठाकुर जी अपने रूप का जादू उस बुढ़िया पर भी चला चुके थे।
वो बुढ़िया ठाकुर जी के हाथ में पिचकारी देते हुए बोली :-लाला ले ये पिचकारी तू ऐसे ही ले जा।ये बाबा तोहे ना दिलवाने वाला।
ठाकुर जी :- ना ना ऐसे ना लेगें हम।हम कोई मांगवे वाले थोड़े ही है।हमें तो जब हमारा बाबा दिलवाएगा तभी लेगें।
ठाकुर जी उसकी पिचकारी वापस रख।मेरे पास आकर खडें हो गए।
अब वो बुढिया बडबडाने लगी :- ऐसा निरदई बाबा ना देखो।बालक का मन दुखा रहा हैं।दिवा काहे नहीं देता।
मैंने उसकी बात अनसुनी की।और ठाकुर जी का हाथ पकड़ घर आ गया।
अब ठाकुर जी तो ठाकुर जी।उन्होंने एक लोटे मे जल लिया और घर की मंडेर पर जाकर बैठ गए।
अब जो भी घर के आगे से निकले।उस पर मूहँ मे पानी भर कर कूला कर दे।और जोर से ताली बजा बजा कर कहें :- ये हमारे बृज की पिचकारी हैं।
अब बाहर से निकलने वाले लोगों की अलग-अलग प्रतिक्रिया थी।
रसिक कह रहे थे :- लाला मोपे ना गिरो।मोपे गेर।
गोपियाँ उपरी मन से कह रही थी :- लाला मान जा।नहीं तो तू भी पिटेगो और तेरा बाबा भी पिटेगो।
अब मेरे पास उलहाने आने शुरू हो गए।
मैं समझ गया।अब तो पिचकारी लानी ही पड़ेगी।मैंने अपना झोला उठाया।ठाकुर जी की उंगली पकड़ी और वापिस उसी बुढिया की दुकान पर पहुंच गया।
मैंने बुढिया की ओर २०० ₹ का नोट बढाया को कही :- मईया वो पिचकारी दे दे जो हमारे लाला को पंसद आई।
बुढिया ने २०० ₹ का नोट अपनी थैली में डालते हुए कहा :- बाबा अब ३०० ₹ ओर निकल लें।
मैंने कही :- काए बात के।पिचकारी तो ५० ₹ की हैं।उलटा तू हमें १५० ₹ लोटाल दें।
बुढिया :- ५० ₹ की तब हती।अब तो ये ५०० ₹ की हैं। लनी है ते ले ना तो आगे बढ़।
मैंने ठाकुर जी की ओर देखा।वो पिचकारी को अपनी छाती से लगाकर ऐसे लाड कर रहे थे।जैसा कि आप तस्वीर मे देख रहे है।
ठाकुर जी ने मुझे पैसे देने का इशारा किया।
मैंने अपने झोले मे से ५०० ₹ का नोट निकाला और उस बुढिया की ओर कर दिया।उसने ५०० ₹ रख मुझे २०० ₹ वापिस दे दिये।
मैंने ठाकुर जी का हाथ पकडा और घर आ गया।
घर आकर ठाकुर जी कहने लगे :- बाबा यही पिचकारी अगर पहले दिलवा देता तो तेरा ४५० ₹ का नुकसान नहीं होता।
मैंने मुस्कुराते हुए ठाकुर जी को अपनी गोद में बिठाया।
मैंने कही :- प्यारे, अगर पहले पिचकारी दिलवा देता तो बृज की पिचकारी देखने को कहाँ मिलती।और जो रसिकों को तेरा अधरामृत चखने को मिला है वो कहाँ से मिलता।
मेरी बात सुन ठाकुर जी ने गोदी में बैठे-बैठे मुझे गले से लगा लिया।कहने लगे:- बाबा तू मेरी नस-नस पहचाने हैं।
Walk with God
Yesterday morning I was going to the market for Holi shopping.
Thakur ji (in child form) started saying to me :- Baba, I will also go to the market with you.
Me :- No Lala, it is festival time. There will be a lot of crowd in the market. You will get lost somewhere.
Thakur ji :- I will not get lost Baba. I will stay with you. Without you, I feel lost at home.
I changed Thakur ji’s clothes, decorated etc. and took him with me.
In the market, I was buying some things from a grocery shop. And outside his shop, an old lady was selling pichkari for four pies.
Thakur ji was looking at his pichkari. That old lady gave a pichkari in Thakur ji’s hand. I was standing inside the shop watching everything.
When I came out of the shop, Thakur ji held my shirt and said :- Baba give me this Pichkari lamp.
I said :- Not now, there are many days for Holi. You will break it till Holi.
Thakur ji :- I will not break Baba, I will keep it very carefully.
On the other hand, the old woman said :- Baba, give me away. I will sell it to others for 150 ₹.
I shook my head in no and started buying fruits from the fruit seller standing next to me.
Thakur ji then went to the shop of that pichkari wali and stood there. Till now Thakur ji had worked the magic of his form on that old lady as well.
That old lady while giving a pitchfork in the hands of Thakur ji said :- Lala take this pitchfork, you take it like this only.
Thakur ji :- No no, we will not take it like this. We are few to ask for anything. We will take it only when our Baba gets it for us.
Thakur ji put his pitcher back. He stood near me.
Now that old lady started muttering :- Don’t look at such cruel Baba. The child’s heart is hurting.
I did not listen to him. And came home holding Thakur ji’s hand.
Now Thakur ji is Thakur ji. He took water in a pot and went to the mandar of the house and sat down.
Now whoever comes out in front of the house, make him cool by filling his mouth with water. And clap loudly and say :- This is our Brij’s Pichkari.
Now the people coming out had different reactions.
Fans were saying :- Lala mope na giro. mope ger.
Gopis were saying from the upper mind :- Lala, accept it. Otherwise you will also be beaten and your father will also be beaten.
Now complaints have started coming to me.
I understood. Now I will have to bring a spray gun. I picked up my bag, caught Thakur ji’s finger and went back to the same old woman’s shop.
I extended a 200 ₹ note towards the old woman and said :- Mother, give me that pichkari which our Lala liked.
Putting a 200 ₹ note in her bag, the old woman said :- Baba, now take out another 300 ₹.
I said :- Why talk. The atomizers cost 50 ₹. On the contrary, you give us 150 ₹.
Old lady :- It used to cost 50 ₹ then. Now it is worth 500 ₹. If you want to take it, then go ahead.
I looked at Thakur ji. He was hugging the pichkari to his chest like this. As you can see in the picture.
Thakur ji indicated to give me money.
I took out a 500 ₹ note from my bag and handed it over to the old lady. She kept 500 ₹ and gave me 200 ₹ back.
I held Thakur ji’s hand and came home.
After coming home, Thakur ji said :- Baba, if you had got this atomizer earlier, you would not have lost 450 ₹.
I smiled and made Thakurji sit on my lap.
I said :- Dear, if I had got the pichkari first, then where would I have been able to see Brij’s pichkari.
After listening to me, Thakur ji hugged me while sitting on his lap. He said :- Baba, you know my every vein.