वर्षों तक वन में घूम-घूम
बाधा-विघ्नों को चूम-चूम
सह धूप-घाम, पानी-पत्थर
पांडव आये कुछ और निखर
सौभाग्य न सब दिन सोता है
देखें, आगे क्या होता है।
मैत्री की राह बताने को
सबको सुमार्ग पर लाने को
दुर्योधन को समझाने को
भीषण विध्वंस बचाने को
भगवान हस्तिनापुर आये
पांडव का संदेशा लाये।
दो न्याय अगर तो आधा दो
पर, इसमें भी यदि बाधा हो
तो दे दो केवल पाँच ग्राम
रक्खो अपनी धरती तमाम।
हम वहीं खुशी से खायेंगे
परिजन पर असि न उठायेंगे।
दुर्योधन वह भी दे ना सका
आशीष समाज की ले न सका
उलटे, हरि को बाँधने चला
जो था असाध्य, साधने चला
जब नाश मनुज पर छाता है
पहले विवेक मर जाता है।
हरि ने भीषण हुंकार किया
अपना स्वरूप-विस्तार किया
डगमग-डगमग दिग्गज डोले
भगवान् कुपित होकर बोले-
‘जंजीर बढ़ा कर साध मुझे,
हाँ, हाँ दुर्योधन बाँध मुझे।
यह देख, गगन मुझमें लय है
यह देख, पवन मुझमें लय है
मुझमें विलीन झंकार सकल
मुझमें लय है संसार सकल
अमरत्व फूलता है मुझमें
संहार झूलता है मुझमें।
उदयाचल मेरा दीप्त भाल
भूमंडल वक्षस्थल विशाल
भुज परिधि-बन्ध को घेरे हैं
मैनाक-मेरु पग मेरे हैं
दिपते जो ग्रह नक्षत्र निकर
सब हैं मेरे मुख के अन्दर।
दृग हों तो दृश्य अकाण्ड देख
मुझमें सारा ब्रह्माण्ड देख
चर-अचर जीव, जग, क्षर-अक्षर
नश्वर मनुष्य सुरजाति अमर
शत कोटि सूर्य, शत कोटि चन्द्र
शत कोटि सरित, सर, सिन्धु मन्द्र।
शत कोटि विष्णु, ब्रह्मा, महेश
शत कोटि विष्णु जलपति, धनेश
शत कोटि रुद्र, शत कोटि काल
शत कोटि दण्डधर लोकपाल
जञ्जीर बढ़ाकर साध इन्हें
हाँ हाँ दुर्योधन बाँध इन्हें।
भूलोक, अतल, पाताल देख
गत और अनागत काल देख
यह देख जगत का आदि-सृजन
यह देख, महाभारत का रण
मृतकों से पटी हुई भू है
पहचान, इसमें कहाँ तू है।
अम्बर में कुन्तल-जाल देख
पद के नीचे पाताल देख
मुट्ठी में तीनों काल देख
मेरा स्वरूप विकराल देख
सब जन्म मुझी से पाते हैं
फिर लौट मुझी में आते हैं।
जिह्वा से कढ़ती ज्वाल सघन
साँसों में पाता जन्म पवन
पड़ जाती मेरी दृष्टि जिधर
हँसने लगती है सृष्टि उधर
मैं जभी मूँदता हूँ लोचन
छा जाता चारों ओर मरण।
बाँधने मुझे तो आया है
जंजीर बड़ी क्या लाया है?
यदि मुझे दोनों पुकारते थे चाहे मन
पहले तो बाँध अनन्त गगन।
सूने को साध न सकता है
वह मुझे बाँध कब सकता है?
हित-वचन नहीं तूने माना
मैत्री का मूल्य न पहचाना
तो ले, मैं भी अब जाता हूँ
अन्तिम संकल्प सुनाता हूँ
याचना नहीं, अब रण होगा
जीवन जय या कि मरण होगा।
टकरायेंगे नक्षत्र-निकर
बरसेगी भू पर वह्नि प्रखर
फण शेषनाग का डोलेगा
विकराल काल मुँह खोलेगा
दुर्योधन रण ऐसा होगा।
फिर कभी नहीं जैसा होगा।
भाई पर भाई टूटेंगे
विष-बाण बूँद-से छूटेंगे
वायस श्रृगाल सुख लूटेंगे
सौभाग्य मनुज के फूटेंगे
आखिर तू भूशायी होगा
हिंसा का पर, दायी होगा।
थी सभा सन्न, सब लोग डरे
चुप थे या थे बेहोश पड़े।
केवल दो नर ना अघाते थे
धृतराष्ट्र विदुर सुख पाते थे
कर जोड़ खड़े प्रमुदित
निर्भय जय-जय दोनों पुकारते थे।
(रामधारी सिँह दिनकर)
wandering in the woods for years kiss the obstacles sun-sun, water-stone Pandavas came a little brighter luck doesn’t sleep all day See what happens next.
to show the way to friendship to get everyone on track to convince Duryodhana to save the catastrophe God came to Hastinapur Bring the message of Pandav.
If two justice then give half But even if there is an obstacle so give only five grams Keep all your land. we will happily eat there Will not raise Asi on the family.
Duryodhan could not give even that Ashish could not take the blessings of the society On the contrary, went to bind Hari What was impossible, went on to do it when destruction falls on man Vivek dies first.
Hari roared extended its appearance wobbling giant dole God got angry and said- ‘Stretch me by increasing the chain, Yes, yes Duryodhan bind me.
Udayachal Mera Deept Bhaal globe chest vast the sides enclose the perimeter mainak-meru pug is mine The planets and constellations that shine All are inside my mouth.
If you have eyes, see the scene See the whole universe in me Variable and immovable beings, the world, the letter-letter Mortal man is immortal to the gods One hundred million suns, one hundred million moons Hundreds of millions of rivers, sir, the Indus slow.
Shat Koti Vishnu, Brahma, Mahesh Shat Koti Vishnu Jalpati, Dhanesh Shat koti Rudra, Shat koti Kaal 100% punishable ombudsman chain them up Yes yes Duryodhan bind them.
see Bhulok, Atal, Patal see past and present tense Seeing this, the original creation of the world See this, the battle of Mahabharata the earth is strewn with the dead Identity, where are you in this?
see the cobwebs in the amber see underworld see all three times in fist see my ugly face all births come from me Then He comes back to Me.
intense fire from the tongue Breathing birth wind wherever my eyes fall creation starts laughing there whenever i shave Death spread all around.
I know how to tie What has Zanjeer Badi brought? If both of them used to call me, whether the mind First of all bind the eternal sky. can’t handle the sound When can he bind me?
You didn’t agree to the promise did not recognize the value of friendship so here i go too tell the final resolution No more plea, now there will be war Life will win or die.
constellations will collide strong winds will rain on the earth hood of sheshnag terrible time will open mouth Duryodhana Ran will be like this. Never again will it be the same.
brother on brother will break Poison arrows will be released drop by drop Vice Shringal will rob you of happiness good luck manuj will explode after all you will be earthbound Will be responsible for violence.
The gathering was stunned, everyone was scared Were silent or were lying unconscious. only two males were unhurt Dhritarashtra Vidur used to get happiness happy standing together Fearless Jai-Jai both used to call.
(Ramdhari Singh Dinkar)