ऊधो मोहि बृज बिसरत नाही
कृष्ण ने कहा अव स्थिति इतनीं विगड़ गयी है अव क्या किया जा सकता है
उद्धव ये भी मैं ही बताऊँ प्रभु
कृष्ण हाँ भैया बताओ ना
उद्धव आप उनकी तरफ अपनीं माया और मोह की लहरें ना भेज कर मोह में फँसे उन लोंगों के जीवन में ज्ञान का प्रकाश फैलाओ जिससे कि वह आपके इस सुन्दर नर शरीर को ना देखकर सच्चिदानंद निर्गुण स्वरूप को देंखें जिससे उन्हें शांँति की प्राप्ति हो
बोलो ना प्रभु मैं सही कह रहा हूँ।
कृष्ण भगवान को ऊधौ में जव ज्ञान का अहंकार लगनें लगा।
तब सोंचा निज भक्त का कर दूँ कुछ कल्याण
दें दूँ सच्चा ज्ञान
कृष्ण आप सच कह रहे हैं उद्धव भैया लेंकिन जव भी मैं उन्हें ज्ञान की किरणों का प्रकाश भेजना चाँहता हूँ वह अपनीं आँखें वंँद कर लेंतीं हैं उन्हें तो प्रेम के अंधकार में ठोंकरें खानें में ही मजा आता है
उद्धव यह तो पागलपन है
कृष्ण जो प्रेम करता है वो पागल ही होता है सवकी सव मेरे प्रेम में पागल हैं अव उन पागलों को कौन समझाये और कैसे समझाये
उद्धव देखो कृष्ण मानव पागल हो सकते हैं लेकिन उनकी आत्मा पागल नहीं हो सकती आत्मा तो आपका ही प्रतिबिंब है अगर तुम पागल नहीं तो उनकी आत्मा कैसे पागल हो सकती है ये तो अनहोनी वाली बात है
कृष्ण हाँ उद्धव भैया यह अनहोनीं हो रही है प्रितिविम्व तो पागल हो ही रहा है साथ में अपनें उस विम्व को भी पागल कर दिया है अव ऐसी स्थिति में क्या उपाय है वोलो
उद्धव-उपाय तो वस एक ही है
भक्त को ब्रह्मज्ञान की प्राप्ति हो जाये और वह मुक्त हो जाये*
कृष्ण तक तो यही नियम थे परंतु अव तो ऐसा लगता है व्रज की गोपीयाँ इन नियमों को भी झूँठा साबित कर देंगीं।
उनका कहनाँ है भक्त को मुक्ति की आवश्यकता ही नहीं
उद्धव यह कैसी मूर्खों वाली वातें हैं
कृष्ण मानना है भक्ती की पराकाष्ठा है प्रेम
प्रेम में केवल प्रेम ही चाहिए प्रेम से मुक्ती नहीं
उद्धव वही प्रेम उनको दुख देता है उनके ह्रदय को तड़पाता है आप तो योगियों के ईश्वर परमयोगी हो उन्हें त्याग की शिक्षा दो*
कृष्ण सच कह रहे हैं ऊधव भैया उन्हें यही सच्चा ज्ञान देंना चाहिए लेकिन मुझे तो उनसे डर लगता है उनके प्रेम का प्रवाह इतना प्रवल है कि वो ज्ञान के किनारों को भी तोड़ देगा
Udho Mohi Brij nahi bisrat
Krishna said, the situation has become so bad, what can be done?
Uddhav, let me tell you this too, Lord.
Krishna yes brother tell me
Uddhav, do not send your waves of illusion and attachment towards them and spread the light of knowledge in the lives of those people trapped in attachment so that instead of seeing this beautiful male body of yours, they see Sachchidanand Nirguna form so that they can attain peace.
Tell me Lord, I am right.
Lord Krishna started feeling proud of his knowledge in Udhau.
Then I thought that I should do some welfare for my devotee.
give me true knowledge
Krishna, you are telling the truth, Uddhav Bhaiya, but whenever I want to send her the light of rays of knowledge, she closes her eyes. She enjoys stumbling in the darkness of love.
Uddhav this is madness
The one who loves Krishna is a mad person, everyone is mad in my love, so who will make those mad people understand and how will they make them understand? Uddhav, look Krishna, humans can go mad but their soul cannot go mad. Soul is your reflection. If you are not mad then how can their soul go mad? This is an untoward thing.
Krishna, yes Uddhav bhaiya, this untoward thing is happening, the image is not only going crazy, but you have also made the universe go crazy. What is the solution in such a situation?
Uddhav – there is only one solution
May the devotee attain Brahmagyan and become free. Till Krishna, these were the rules, but now it seems that the Gopis of Vraj will prove these rules as false.
He says that the devotee does not need salvation.
Uddhav, what kind of foolish words are these?
Krishna is believed to be the pinnacle of devotion. In love, only love is needed, not freedom from love.
Uddhav, the same love hurts them and torments their hearts. You are the God of Yogis, the supreme yogi, teach them renunciation.
Krishna is telling the truth, Udhav Bhaiya, I should give him this true knowledge but I am afraid of him, the flow of his love is so strong that it will break even the boundaries of knowledge.