सांवरा कहता है कि जो मुझे प्रेम से भजता है। उसके मन मन्दिर में मै निवास करता हूँ ।और हर क्षण अपने होने का अहसास कराता हूं पर तु मुझे मन्दिर में ही ढुढता है। मै तेरी पुकार पर रीझ जाता हूं। तु मुझे समझ नहीं पाता है। क्योंकि भक्त कहता है कि मुझे तेरा आनंद नहीं चाहीए। मै तुझे ध्याना चाहता हूं। मै तुझे गहराई से निहारता हूँ। तब तेरे प्रेम में पागल दिवाना बन जाता हूं
। भगवान भक्त को रिझाते है। इसलिए भक्त ध्यान नहीं देता है बस भगवान को प्रेम से भजता है। भक्त जानता है रास्ता टेढा मेढा है यह पङाव तेरी मंजिल नहीं है। भगवान नाम तेरी मंजिल है भगवान नाथ श्री हरी को सच्चे ह्दय से ध्याने पर ही मंजिल मिल सकती है जय श्री राम
अनीता गर्ग
Saanvra says that one who worships me with love. I reside in the temple of his mind. And every moment I feel my presence, but you find me in the temple itself. I am satisfied at your call. You don’t understand me. Because the devotee says that I do not want your bliss. I want you to pay attention I look deeply at you. Then I become crazy crazy in your love , God woos the devotee. Therefore the devotee does not pay attention, just worships God with love. The devotee knows that the path is crooked, this pav is not your destination. God’s name is your destination. Anita Garg