एक बार अर्जुन ने कृष्ण से पूछा-
माधव.. ये ‘सफल जीवन’ क्या होता है ?
कृष्ण अर्जुन को पतंग उड़ाने ले गए।
अर्जुन कृष्ण को ध्यान से पतंग उड़ाते देख रहा था.
थोड़ी देर बाद अर्जुन बोला-
माधव.. ये धागे की वजह से पतंग अपनी आजादी से और ऊपर की ओर नहीं जा पा रही है, क्या हम इसे तोड़ दें ? ये और ऊपर चली जाएगी|
कृष्ण ने धागा तोड़ दिया ..
पतंग थोड़ा सा और ऊपर गई और उसके बाद लहरा कर नीचे आयी और दूर अनजान जगह पर जा कर गिर गई…
तब कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का दर्शन समझाया…
पार्थ.. ‘जिंदगी में हम जिस ऊंचाई पर हैं..
हमें अक्सर लगता की कुछ चीजें, जिनसे हम बंधे हैं वे हमें और ऊपर जाने से रोक रही हैं; जैसे :
-घर-
-परिवार-
-अनुशासन-
-माता-पिता-
-गुरू-और-
-समाज-
और हम उनसे आजाद होना चाहते हैं…
वास्तव में यही वो धागे होते हैं – जो हमें उस ऊंचाई पर बना के रखते हैं..
इन धागों के बिना हम एक बार तो ऊपर जायेंगे परन्तु बाद में हमारा वो ही हश्र होगा, जो बिन धागे की पतंग का हुआ…’
अतः जीवन में यदि तुम ऊंचाइयों पर बने रहना चाहते हो तो, कभी भी इन धागों से रिश्ता मत तोड़ना..”
धागे और पतंग जैसे जुड़ाव के सफल संतुलन से मिली हुई ऊंचाई को ही ‘सफल जीवन कहते हैं..”
🙏
Once Arjuna asked Krishna- Madhav.. What is this ‘successful life’?
Krishna took Arjuna to fly kites. Arjuna was watching Krishna carefully flying a kite.
After a while Arjuna said-
Madhav.. Because of this thread, the kite is not able to move freely and upwards, should we break it? It will go higher.
Krishna broke the thread..
The kite went up a little more and then came down after waving and fell at a distant unknown place…
Then Krishna explained the philosophy of life to Arjuna. Parth.. ‘The height we are at in life.. We often feel that certain things to which we are tied are preventing us from going higher; like : -House- -family- -discipline- -Parents- -master-and- -community-
And we want to be free from them…
In fact, these are the threads – which keep us at that height.
Without these threads, we will go up once, but later we will have the same fate that happened to a kite without thread…’
Therefore, if you want to remain on the heights in life, then never break your relationship with these threads.
The height achieved by the successful balance of thread and kite-like attachment is called ‘successful life.