गृह-गृहतें आई व्रजसुंदरी झूलत सुरंग हिंडोरे। वरण-वरण पहिरे तन सारी नवल-नवल रंग बोरे। झूलत संग लाल गिरिधर के अति छबि नवल किशोरें। न्हेनी-न्हेनी फुंहीं परत धरनी में श्याम घटा घन घोरें। कबहू रीझि भीजि उर लागत प्रीतम को चित चोरें। ‘कल्यान’ कें प्रभु गिरिधर रस भीजे प्रेम उमगि झकझोरे ||
भावार्थ
श्री गिरिधर को झूला झुलाने के लिए प्रत्येक घर से ब्रज सुन्दरियाँ आई हैं। सभी ने भाँति-भाँति के नवीन वस्त्र धारण कर रखे हैं। श्री गिरिधर श्री स्वामिनी जी के संग झूला झूलने की छवि अति सुन्दर बन पड़ी हैं। धरती पर नन्हीं-नन्हीं बूँदे गिर रही हैं। घनघोर घटा छा रही है। कभी आनन्दित होकर वर्षा में भीग कर श्री ठाकुर के हृदय से चिपक रही हैं। श्री ठाकुर के इस प्रेम रस में सभी डूब रही हैं।
From house to house, Vrajasundari came swinging in the tunnel carousel. Wearing colors, the body is sacked with all the new colors. Swinging with the red giridhar’s very image new teenagers. Slowly-slowly blowing layer of earth in the dark clouds cube ghoren. Kabhu reezhi bhiji ur lagat pritam ko chit choren. ‘Kalyan’ ke prabhu giridhar ras bhije prem umgi jhakjhore ||
Braj Sundaris have come from every house to make Shri Giridhar swing. Everyone is wearing a variety of new clothes. The image of Shri Giridhara swinging with Shri Swamini ji has become very beautiful. Little drops are falling on the earth. It is raining heavily. Sometimes getting drowsy in the rain, she is clinging to the heart of Shri Thakur. Everyone is drowning in this love rasa of Shri Thakur.
One Response
Good post. I absolutely appreciate this website. Thanks!