मोहन के लबों पे देखो क्या खुशनुमा है बंशी,
बंशी पे लब फिदा हैं लब पे फिदा है बंशी ।
जिन्दे को मुर्दा करती मुर्दे को जिंदा करती,
ये खुद खुदा नहीं हैं पर शाने खुदा है बंशी ॥
ऐसा क्या जादू कर डाला मुरली जादूगरी ने,
किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने ।
बांस के एक टुकड़े में ऐसा क्या देखा बनवारी ने,
किस कारण से संग में मुरली रखी है गिरधारी ने ॥
कभी हाथ में कभी कमर पर कभी अधर पर सजती है,
मोहन की सांसो की थिरकन से ये पल में बजती है ।
काहे इतना मान दिया मुरली को कृष्ण मुरारी ने
किस कारण…..
एक पल मुरली दूर नहीं क्यों सांवरिया के हाथों से,
रास नहीं रचता इसके बिन क्यूँ पूनम की रातों में ।
काहे को सौतन कह डाला इसको राधे प्यारी ने…
किस कारण…..
अपने कुल से अलग हुई और अंग अंग कटवाया है,
गर्म सलाखों से फिर इसने रोम रोम छिदवाया है ।
तब जाकर ये मान दिया मुरली को गिरवर धारी ने…
इस कारण ….
Look at the lips of Mohan, what a happy Banshi is,
Banshee Pe Lab Fida Hai Lab Pe Fida Hai Banshee.
The dead make the living alive,
He is not God himself, but Shane Khuda is Banshi.
What magic did the murli magician do,
For what reason has Girdhari kept the murli in the company?
What did Banwari see in a piece of bamboo?
For what reason has Girdhari kept the murli in the company?
Sometimes in the hand, sometimes on the waist, sometimes on the waist,
It rings in the moment with the beat of Mohan’s breath.
Why did Krishna Murari give so much respect to Murli?
Wherefore…..
Why is the murli not far away from the hands of Saawariya for a moment?
Why does Poonam’s nights do not create love without it?
Why did Radhe Pyari call it ‘sautan’?
Wherefore…..
separated from her clan and cut off her limbs,
It has again pierced Rome with hot bars.
After that, the murli was accepted by Girvar Dhari…
due to this ….