अश्रुधारा रूकती नही है
मेरे मुह को कलेजा आ रहा
भाई लक्ष्मण मुर्षित पड़े है,
मेरा दम निकलता जा रहा
अश्रुधारा रूकती नही है
हो मेरे लिए तो वन वन भटका राज्ये सुख भी त्याग दिया,
मात पिता भी त्याग दिए और पत्नी से वैराग किया
क्या मुह लेके जाऊ अयोध्या मुझको ये गम खा रहा
अश्रुधारा रूकती नही है
मुझे वैदेही मिल भी गई तो लक्ष्मण बिन मेरा क्या होगा,
हो निश्ये ही मैं प्राण त्याग दू फिर भी न माफ़ गुनाह होगा
लक्ष्मण ने की धर्म पालना पाप में शायद कमा रहा
अश्रुधारा रूकती नही है
हो तीनो माता भरत शत्रु घन जीवत रेह नही पाए गे,
द्रोनाचल से भुट्टी हनुमंत लायेगे या न लायेगे
हो राम कमल सिंह होए अधीर साया गम का छा रहा,
अश्रुधारा रूकती नही है
the tears don’t stop
my mouth is hurting
Brother Laxman is lying dead,
I’m running out of breath
the tears don’t stop
Yes, for me, the kingdom wandered from forest to forest and gave up happiness,
Mother father also abandoned and disinterested with wife
Should I take my mouth Ayodhya is eating me this sorrow
the tears don’t stop
Even if I get Vaidehi, what will happen to me without Lakshmana?
Yes, I must give up my life, even then I will not forgive a sin
Lakshmana may have earned in sin by following the religion
the tears don’t stop
Yes, all the three Mother Bharat enemies will not be able to survive.
Will you bring Hanumant Bhutti from Dronachal or not?
Be it Ram Kamal Singh, be it an impatient shadow,
the tears don’t stop