बड़ी दूर से आये है भागवत अमृत लाये है ।
अपना लो या ठुकरा दो श्रद्धा के फूल लाये है ॥
तेरे दर पर जो आता है बिन मांगे पाता है
माँ बेटे का ………..ये कैसा नाता है
हम भटकते हम फिरते
हम भटकते बच्चे तेरे है भागवत अमृत लाये है ॥
मेरा दर्द तू सुन ले श्याम है अपना न पराया
तेरे शिवा ………… कोण है मेरा प्यारा
हम बिलखते हम रोते
हम बिलखते बच्चे तेरे है भागवत अमृत लाये है ॥
न स्वर है न सरगम है न लय न कोई तराना
जो चाहे ……….. में श्याम का दीवाना
मोहित मन की , मोहित मन की
मोहित मन की मुरदे पाते है
भागवत अमृत लाये है ।
अपना लो या ठुकरा दो श्रद्धा का फूल लाये है ॥
Bhagwat has come from a great distance and has brought nectar.
Take yours or reject you have brought flowers of reverence.
Whoever comes at your rate gets it without asking.
What is the relation between mother and son………
we wander we wander
We wandering children have brought Bhagwat nectar to you.
You listen to my pain, Shyam is not your own alien
tere shiva ………… who is my dear
we cry we cry
We are crying children, you have brought Bhagwat nectar.
There is no tone, no gamut, no rhythm, no tarana
Shyam’s crazy in ………..
fascinated mind fascinated mind
Mohit finds dead
Bhagwat has brought nectar.
Take yours or reject you have brought flowers of reverence.