फागुन की रुत है आई भगतो के मन में छाई,
बाबा की याद है आई मन हो गया खाटू का,
भगत तेरा निशान लेकर आये निशान तेरा मल मल का,
टिक ते नहीं है ज़मीन पे मेरे पाँव रे,
अच्छा नहीं लागे अब घर गली गांव रे,
जब से खाटू धाम गया हु चैन नहीं पल का,
भगत तेरा निशान लेकर आये निशान तेरा मल मल का,
रींगस के रास्ते में उड़ता गुलाल है,
भगतो संग टोलियो में भजनो का साथ है,
फागुन के मेले में मेरा संवारा भी लाल है,
भगत तेरा निशान लेकर आये निशान तेरा मल मल का,
खाटू में पोंछते ही दिखता तोरण द्वार है,
अतुल का ये सपना तूने कर दियांसाकार है,
पग पग पर ये साथ चला है रास्ता दिखाता,
भगत तेरा निशान लेकर आये निशान तेरा मल मल का,
The path of Phagun has come to dominate the minds of the devotees,
Baba remembers that my mind has become Khatu’s,
Bhagat brought your mark, the mark of your feces,
My feet on the ground are not ticking,
Do not feel good, now home street village re,
Ever since I went to Khatu Dham, there was no rest for a moment,
Bhagat brought your mark, the mark of your feces,
There is gulal flying in the way of rings,
Bhagato is accompanied by Bhajans in the group,
My dress is also red in Fagun’s fair,
Bhagat brought your mark, the mark of your feces,
The pylon is the door as soon as you wipe it in the khatu,
You have made this dream of Atul a reality,
It has walked along every step of the way, showing the way,
Bhagat brought your mark, the mark of your feces,