भगवान् तुझे मैं ख़त लिखता पर तेरा पता मालूम नहीं।
रो रो लिखता जग की विपदा, पर तेरा पता मालूम नहीं॥
तुझे बुरा लगे जा भला लगे, तेरी दुनिया अपने को जमी नहीं।
कुछ कहते हुए डर लगता है, जहाँ कुत्तों की कुछ कमी नहीं।
मालिक लिख सब कुछ समझाता, पर तेरा पता मालूम नहीं॥
मेरे सर पे दुखों की गठरी है, रातों को नहीं मैं सोता हूँ।
कहीं जाग उठे ना पडोसी, इस लिए जोर से मैं नहीं रोता हूँ।
तेरे सामने बैठ के मैं रोता, पर तेरा पता मालूम नहीं॥
कुछ कहूँ तो दुनिया कहती है, आंसू ना बहा, बकवास ना कर।
ऐसी दुनिया में मुझे रख कर, मालिक मेरा सत्यानास न कर।
तेरे पास मैं खुद ही आ जाता, पर तेरा पता मालूम नहीं॥
Lord, I would write you a letter but I do not know your address.
Wrote the calamity of the world, but your address is not known.
If you feel bad, you may feel good, your world has not frozen itself.
Afraid to say something, where there is no shortage of dogs.
The owner would explain everything in writing, but your address is not known.
There is a bundle of sorrows on my head, I do not sleep at night.
I don’t cry loudly because I don’t wake up anywhere.
I used to cry sitting in front of you, but I do not know your address.
When I say something, the world says, don’t shed tears, don’t talk nonsense.
By keeping me in such a world, the master should not destroy me.
I myself would have come to you, but I do not know your address.