लंका गढ़ में कुदेया हनुमत ध्यान धरा श्री राम का,
बजा दिया लंका में डंका हनुमत ने राम के नाम का,
मिला बिभीषन लंका में सेवक था वो भी राम का,
खबर बताई माता की रस्ता बताया उसे भाग का,
भाग अशोक में आया हनुमत दियां संदेसा राम का,
बजा दिया लंका में डंका हनुमत ने राम के नाम का,
माता से आगेया मांगी मिल भूखा सु कुछ खान की,
खावण लागया वो केल सेब फिर नहीं कमी कोई आम की,
भाग उजाड़ेया मारन लागया रोकेया जिस ने भी खामा खा,
बजा दिया लंका में डंका हनुमत ने राम के नाम का,
चालेया सबा में रावण की तोडा उसके अभिमान ने,
पूंछ में आग लगा दी फिर बदली लंका समशान में,
तुलसी सांचा सेवक हनुमत अपने रघुवर राम का,
बजा दिया लंका में डंका हनुमत ने राम के नाम का,
Kudeya Hanumat meditated on Shri Ram in the fort of Lanka,
Hanumat chanted the name of Rama in Lanka.
Found Bibhishan was a servant in Lanka, that too Ram’s,
Told the news, told the path of the mother, told her the part,
Hanumat gave the message of Ram in the part Ashoka,
Hanumat chanted the name of Rama in Lanka.
Asked for the mother, got hungry su some Khan’s,
The food was brought, that kale apple, no more mangoes,
Bhaag Uzadeya Maran Lagya Rokeya Whoever ate the blame,
Hanumat chanted the name of Rama in Lanka.
Ravana’s pride broke in Chaleya Saba,
Set fire to the tail, then changed into Lanka Samshan,
Tulsi Sancha servant Hanumat of his Raghuvar Ram,
Hanumat chanted the name of Rama in Lanka.