बरसाने में शोर मच गयो,
होली खेले नन्द कुमार ब्रिज में रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार ब्रिज में रंग बरसे,
संग में लेके सखा उत्पाती,
जैसे बाबा को लेके बाराती,
पीले पोखर पे लिया डेरा दाल ब्रिज में रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार ब्रिज में रंग बरसे,
भाभी भाभी कह के बोले,
बोला बन कुंजन में डोले,
और घुंघटा देवे उतार ब्रिज में रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार ब्रिज में रंग बरसे,
भानु ललिन सखियन से बोली,
छीन लो कुटियाँ डालो लेहंगा चोली,
बनाओ छलिये को नर से नार,
बृषभानु दुलारी के द्वार ब्रिज में रंग बरसे,
बलि बलि जाऊ नवल रसियां के,
ब्रिज शर्मा के मन वसया के,
चिर जीवो नन्द कुमार ब्रिज के रंग बरसे,
बृषभानु दुलारी के द्वार ब्रिज में रंग बरसे,
There was noise in the rain,
Colors rained on Nand Kumar Bridge to play Holi,
Colors rained in the door bridge of Brishabhanu Dulari,
With the help of a friend,
Like a wedding procession with Baba,
The color rained on the Dera Dal Bridge on the yellow puddle,
Colors rained in the door bridge of Brishabhanu Dulari,
Sister-in-law said by saying,
Said bun wobbled in the kunjan,
And the colors rained on the Ghungta Dev Uttar Bridge,
Colors rained in the door bridge of Brishabhanu Dulari,
Bhanu said to Lalin Sakhian,
Take away the huts, put the lehenga choli,
Make a fool from a male to a male,
Colors rained in the door bridge of Brishabhanu Dulari,
Go to the sacrifice of Naval ropes,
In the mind of Brij Sharma,
The colors of the eternal life Nand Kumar Bridge rained,
Colors rained in the door bridge of Brishabhanu Dulari,