ऐलान करता हु शरेआम करता हु,
मैं तो मेरे ही श्याम का गुणगान करुगा,
बस श्याम जपुगा ,
ऐलान करता हु शरेआम करता हु
गुजरे दिनों की याद मुझे जब आती है,
इन आखियो की पलके भीगी जाती है,
कैसे सम्बाला श्याम ने मैं ना भूलू गा बस श्याम जपुगा,
ऐलान करता हु शरेआम करता हु,
जब से मुझको श्याम ने अपनाया है,
मेरी हार को मेरी जीत बनाया है,
अब जीवन की हर बाजी तो मैं जीतू गा बस श्याम जपुगा,
ऐलान करता हु शरेआम करता हु
समज ना पाया इनसे कैसा नाता है,
पल में बदली दुनिया ऐसा दाता है,
इनकी किरपा छाओ तले मैं रहुगा,बस श्याम जपुगा,
ऐलान करता हु शरेआम करता हु
निर्मल ने जबसे ये जोट जगाई है,
इज्जत की दौलत भी खूब कमाई है,
मैं तो डंके की चोट पे ये बात कहु गा बस श्याम जपुगा,
ऐलान करता हु शरेआम करता हु
स्वरसंजय मित्तल
I declare,
I will praise my own Shyam,
Just shyam japuga,
I declare
When I remember the days gone by,
The eyelids of these eyes get wet,
How Sambala Shyam did not forget me, just Shyam Japuga,
I declare,
Ever since Shyam has adopted me,
I have made my defeat my victory,
Now I will win every game of life, just shyam japuga,
I declare
Couldn’t understand how it is related to them,
The world changed in a moment is such a giver,
I will stay under their mirpa shadow, just shyam japuga,
I declare
Since Nirmal has awakened this jot,
Wealth of honor is also earned a lot,
If I say this thing on the hurt of sting, just Shyam Japuga,
I declare
swarsanjay mittal