गयान बिबेक बिरति बिग्याना। मुनि दुर्लभ गुन जे जग नाना॥
आजु देउं सब संसय नाहीं। मागु जो तोहि भाव मन माहीं॥॥
ज्ञान, विवेक, वैराग्य, विज्ञान, तत्त्वज्ञान और वे अनेकों गुण जो जगत् में मुनियों के लिए भी दुर्लभ हैं, ये सब मैं आज तुझे दूंगा, इसमें संदेह नहीं। जो तेरे मन भावे, सो मांग ले॥॥
सुनि प्रभु बचन अधिक अनुरागेउं। मन अनुमान करन तब लागेउं॥
प्रभु कह देन सकल सुख सही। भगति आपनी देन न कही॥॥
भावार्थ:-प्रभु के वचन सुनकर मैं बहुत ही प्रेम में भर गया। तब मन में अनुमान करने लगा कि प्रभु ने सब सुखों के देने की बात कही, यह तो सत्य है, पर अपनी भक्ति देने की बात नहीं कही॥॥
भगति हीन गुन सब सुख ऐसे। लवन बिना बहु बिंजन जैसे॥
भजन हीन सुख कवने काजा। अस बिचारि बोलेउं खगराजा॥॥
भक्ति से रहित सब गुण और सब सुख वैसे ही (फीके) हैं जैसे नमक के बिना बहुत प्रकार के भोजन के पदार्थ। भजन से रहित सुख किस काम के? हे पक्षीराज! ऐसा विचार कर मैं बोला-॥॥
जौं प्रभु होइ प्रसन्न बर देहू। मो पर करहु कृपा अरु नेहू॥
मन भावत बर मागउं स्वामी। तुम्ह उदार उर अंतरजामी॥॥
हे प्रभो! यदि आप प्रसन्न होकर मुझे वर देते हैं और मुझ पर कृपा और स्नेह करते हैं, तो हे स्वामी! मैं अपना मनभाया वर माँगता हूं। आप उदार हैं और हृदय के भीतर की जानने वाले हैं॥॥
अबिरल भगति बिसुद्ध तव श्रुति पुरान जो गाव।
जेहि खोजत जोगीस मुनि प्रभु प्रसाद कोउ पाव॥॥
आपकी जिस अविरल एवं विशुद्ध भक्ति को श्रुति और पुराण गाते हैं, जिसे योगीश्वर मुनि खोजते हैं और प्रभु की कृपा से कोई विरला ही जिसे पाता है॥॥
भगत कल्पतरू प्रनत हित कृपा सिंधु सुखधाम।
सोइ निज भगति मोहि प्रभु देहु दया करि राम॥॥
हे भक्तों के मन इच्छित फल देने वाले कल्पवृक्ष, हे शरणागत के हितकारी, हे कृपा सागर, हे सुखधान श्री रामजी, दया करके मुझे अपनी वही भक्ति दीजिए॥॥ सुख के धाम श्री रामजी की जय
Gyan Bibek Birti Bigyana. Muni rare virtues which are various in the world. I give it today, no doubt. Magu jo tohi bhav mana maahi॥॥
There is no doubt that I will give you knowledge, wisdom, renunciation, science, philosophy and many other qualities which are rare even for sages in the world. Ask for whatever you want. Listen to the words of the Lord and love them more. Then my mind will start guessing. Lord, please give me total happiness. Devotion is not your gift. Meaning:- After hearing the words of the Lord, I became filled with great love. Then I started guessing in my mind that the Lord talked about giving all the happiness, this is true, but did not talk about giving his devotion. All happiness is like this due to lack of devotion. Like a bowl without salt. There is no happiness without bhajan. This is what the poor man should say, Khagraja.
Without devotion, all virtues and pleasures are as dull as many types of food items without salt. What is the use of happiness without bhajan? O king of birds! Thinking like this I said-॥॥ If God pleases me, I will give it to you. Please bless me, Aru Nehu. I pray in my heart, Lord. You are generous and generous.
Oh, Lord! If you are pleased and grant me a boon and show me kindness and affection, then O Lord! I ask for my desired groom. You are generous and know what is inside the heart. Abiraal Bhagati Bisuddh Tav Shruti Puran Jo Gav. Wherever I search, I find Jogi Muni Prabhu Prasad.
The uninterrupted and pure devotion of yours which is sung by Shruti and Puranas, which Yogishwar Muni searches for and which only a rare person finds by the grace of God. Bhagat Kalpataru Pranat Hit Kripa Sindhu Sukhdham. Soi my bhakti mohi prabhu dehu daya kari Ram॥
O Kalpavriksha, which gives the desired results to the devotees, O benefactor of the surrendered, O ocean of grace, O land of happiness, Shri Ramji, please kindly give me the same devotion of yours. Jai Shri Ramji, the abode of happiness