लगा तीर लखन मैं सीने में , हाय कुछ भी सुझ न पाये,
जल्दी से आओ हनुमत प्यारे , कही रात बीत न जायें ,
तुम्हें काहें को देर लगाई , हनुमत आ जाऊ ॥
मेरा तड़फ रहा है भाई , हनुमत आ जाऊ ॥
उठो मेरे भाई ,क्यों सोये मुख मोड़ के ॥
क्या मिलेगा ,तुझे दिल मेरा तोड़ के ॥
सुनो राम ,अपने की दुहाई ॥
भाई के बिना ,मैं घर नहीं जाऊंगा ॥
लखन के सगं ,आज मैं भी मर जाऊंगा ॥
तुझ बिन मैं ,क्या करूं खुदाई ॥
आ गऐ हनुमत ,पर्वत चीर के ॥
दुखड़े मिटाऐ ,जिसने रघुवीर के ॥
हर संकट,बिगड़ी बनाई ॥
I felt an arrow in my chest, hi, I could not understand anything,
Hurry up, dear Hanuman, don’t let the night pass
Why did you delay , Hanumat should come
My heart is on my brother , Hanumat should come
Arise my brother, why sleep on your face
What will you get, you will break my heart.
Listen Ram, your cry.
Without brother, I will not go home.
With Lakhan, today I will also die.
What should I do without you?
Hanumat has come, the mountain has ripped.
Erase the sorrows, which caused Raghuveer.
Every crisis made worse