दो कुल की नाम निशान बेटिया होती है,
हर माता पिता की शान बेटीया होती है,
खेल खेलती भैया संग,
बहना बन जाती है,
पिले हाथ कर पति संग,
वो पत्नी बन जाती है,
जाती है ससुराल वहाँ,
गृहणी बन जाती है,
जन को जन करती है,
वह जननी बन जाती है,
इंसान पे एक एहसान बेटिया होती है,
हर माता पिता की शान बेटीया होती है
कही पे दुर्गा,
कही पे दुर्गावती कहाती है,
लक्ष्मी का है रूप स्वयं,
कही लक्षमीबाई है,
राम की सीता,
कृष्ण की गीता,
शारदा माई है,
लगन कही लग जाये,
तो बनती मीरा बाई है,
शक्ति भक्ति मैं महान बेटिया होती है,
हर माता पिता की शान बेटीया होती है..
जैसे मान सम्मान बिना मेहमान अधूरा है,
वैसे कन्या दान बिना हर दान अधूरा है,
सावन का पावन राखी त्योहार अधूरा है,
बेटी नहीं है जिस घर में परिवार अधूरा है,
माखन चित चोर महान बेटिया होती है,
हर माता पिता की शान,
बेटीया होती है।।
The name mark of two clans is daughter,
The pride of every parent is the daughter.
playing games with brother,
becomes flowing,
With her husband with yellow hands,
She becomes wife
goes there in-laws,
becomes a housewife
makes the people the people,
She becomes the mother
There is a favor on man, daughter
Daughter is the pride of every parent
Wherever Durga,
Wherever Durgavati says,
The form of Lakshmi is herself,
Where is Laxmibai?
Rama’s Sita
Krishna’s Gita,
Sharda is Mai
Wherever the passion goes,
So it is Meera Bai,
Shakti is a great daughter in devotion,
The pride of every parent is the daughter.
As a guest is incomplete without respect,
By the way, every donation is incomplete without girl donation.
The holy Rakhi festival of Sawan is incomplete,
There is no daughter in the house where the family is incomplete,
A butter chit thief is a great daughter,
Pride of every parent,
There is a daughter.