हरी की कथा सुनाने वाले, गोविन्द कथा सुनाने वाले,
तुमको लाखों प्रणाम, तुमको लाखों प्रणाम ।
हम भूल रहे थे वन में, बल खो बैठे थे तन में ।
प्रभु राह बताने वाले, यह राज बताने वाले,
तुमको लाखों प्रणाम ॥
लेकर विशयों का प्याला, जा रहे थे यम के गाला ।
अमृत पान कराने वाले, प्रभु सुधा पिलाने वाले,
तुमको लाखों प्रणाम ॥
तुम घट घट अन्तर्यामी, हम पतित और अभिमानी ।
प्रभु दरश कराने वाले, हरी का दरश कराने वाले
तुमको लाखों प्रणाम ॥
हम पार तेरा क्या पावें, बस सीस झुका यही गावें ।
आत्म ज्ञान कराने वाले, मुक्ति दिलाने वाले,
तुमको लाखों प्रणाम ॥
स्वरपूज्य कृष्ण चन्द्र शास्त्री (ठाकुर जी)
Those who tell the story of Hari, those who tell the story of Govinda,
Millions of salutations to you, millions of salutations to you.
We were forgetting in the forest, the strength was lost in the body.
Lord, the guide, the one who tells this secret,
Millions of thanks to you
Carrying a cup of subjects, Yama was going to the gala.
Those who drink the nectar, those who drink the nectar of God,
Millions of thanks to you
You are less and less internal, we are impure and arrogant.
Lord who shows, shows green
Millions of thanks to you
What do we do for you, just bow down to this village.
Self-knowledge, Liberator,
Millions of thanks to you
Swara Pujya Krishna Chandra Shastri (Thakur)