हे रोम रोम मे बसने वाले राम,
जगत के स्वामी, हे अन्तर्यामी, मे तुझ से क्या मांगूं |
आप का बंधन तोड़ चुकी हूं, तुझ पर सब कुछ छोड़ चुकी हूं |
नाथ मेरे मै क्यूं कुछ सोचूं तू जाने तेरा काम ||
तेरे चरण की धुल जो पायें, वो कंकर हीरा हो जाएँ |
भाग मेरे जो मैंने पाया, इन चरणों मे ध्यान ||
भेद तेरा कोई क्या पहचाने, जो तुझ सा को वो तुझे जाने |
तेरे किये को हम क्या देवे, भले बुरे का नाम ||
O Ram who lives in Rome,
What should I ask of you, Lord of the world, O inner being?
I have broken your bond, I have left everything on you.
Nath, why should I think of me, you know your work ||
Those pebbles who find the dust of your feet may become diamonds.
Part of me what I found, meditate on these steps ||
What is the difference between you and anyone who knows you?
What should we give to your deeds, good and bad name ||