हो किस्मत वाले बच्चो तुम माँ से दूर न हो जाना
गयी अकेला मुझे छोड़ ना कब मैंने ये पहचाना
खुद रोटी रहती थी मुझको हंसाया करती थी
कृष्णा कन्हैया लल्ला कहते बाहों में झुलाया करती थी
नटखट था बचपन में जाएं कितनी शरारत करता था
पापाजी का गुस्सा मेरी माँ को सहना पड़ता था
भोला और नादाँ बताके मुझको बचाया करती थी
नेहला धुला कर स्कूल वो अपने साथ में लेकर जाती थी
नज़र लगे न मुझको मेरे कला टीका लगाती थी
कुछ बन जाऊं पढ़ लिखके सपने सजाया करती थी
अब उसकी यादें ही रह गयी प्रेम को आज तरसता हूँ
औरों की माओं में अपनी माँ को देखा करता हूँ
कौन सुलाए लेहरी मुझको जैसे वो सुलाया करती थी
You are lucky kids, don’t get away from your mother.
When did I recognize this
Bread used to live itself, used to make me laugh
Krishna used to swing in his arms saying Kanhaiya Lalla
Was naughty in childhood, he used to do so much mischief
Dad’s anger my mother had to bear
Used to save me by being naive and nada
She used to take Nehla with her to school after washing
I didn’t see my art used to comment on me
I used to decorate my dreams by reading and writing.
Now only his memories remain, I crave love today
I see my mother in other’s mothers
Who made Lehri sleep me like she used to make me sleep?